
इंदौर. आईडीए की इंदिरा कॉम्प्लेक्स योजना पर नगर निगम ने बट्टा लगा दिया। अस्थाई रूप से बस स्टैंड बनाने के बाद निगम ने अवैध दुकानें बनाकर लीज व किराए पर दे दीं। अब आईडीए ने अपने चारों प्लॉट खाली करने को कहा है।
चारों तरफ सडक़ वाली जमीन को कीमती माना जाता है। नौलखा की ऐसी ही जमीन पर 37 साल पहले इंदौर विकास प्राधिकरण ने योजना तैयार की थी। मल्टीपल थिएटर, होटल से लेकर पेट्रोल पंप और रहवासियों के लिए दस माले की इमारत और खरीददारी के लिए दुकानों की प्लानिंग की गई थी, लेकिन सरकारी महकमे ने ही अवैध बस स्टैंड बसा दिया। बाकी कसर नगर निगम ने बेतरतीब दुकानें बनाकर लीज व किराए पर देकर पूरी कर दी। वर्षों बाद अब आईडीए अपनी जमीन बचाने के लिए आगे आया है।
आईडीए सीईओ गौतम सिंह ने नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह से बाफना होस्टल के पीछे जहां अवैध बस स्टैंड, 158 दुकानें और दो होटल संचालित हो रहे हैं, उन्हें खाली करके देने को कहा है। इस मामले की जानकारी कलेक्टर निशांत वरवड़े को भी दी गई, ताकि वे भी आईडीए की मदद करें। सिंह ने जगह खाली करने के लिए पुराने दस्तावेजों के आधार पर तर्क दिए हैं। अब तक निगम जगह को अपनी बताता रहा है, अब आईडीए के तर्क नकारना उसके लिए आसान नहीं होगा।
योजना को लगा पलीता
आईडीए की स्कीम 99 पर सरकारी पलीता लग गया। 1991 में तत्कालीन कमिश्नर विजय सिंह ने रेलवे स्टेशन के सामने संचालित होने वाले बस स्टैंड को कुछ समय के लिए शिफ्ट कर दिया, बाकी कसर नगर निगम ने पूरी कर दी। रानी सराय से रेलवे स्टेशन के आसपास की दुकानों को हटाया गया, जिन्हें इंदिरा कॉम्प्लेक्स में बस स्टैंड के साथ जगह दे दी गई। धीरे-धीरे दूसरी जगह से भी गुमटी वालों को हटाकर यहां बसा दिया गया। नगर निगम ने दुकानों का अवैध निर्माण कर कब्जा सौंप दिया। आईडीए की जमीन पर निगम ने मोटी कमाई की। आज भी किराया वसूल रहा है। दुकानें बनाने के समय न तो मास्टर प्लान की याद आई और न ही टीएनसीपी के नक्शे पर ध्यान देने की जहमत उठाई।
ये हैं आईडीए के तर्क
मध्यप्रदेश स्थानीय शासन विभाग ने 28 दिसंबर 1982 को इंदिरा कॉम्प्लेक्स के शेष चार भूखंड भी आईडीए को हस्तांतरित किए जाने और उन्हें बेचने से होने वाली आय से चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय बनाने के निर्देश दिए थे।
15 मार्च 1983 को इंदिरा कॉम्प्लेक्स के सभी भूखंडों व वहां के संपूर्ण विकास का दायित्व व चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के निर्माण का भार आईडीए को सौंपने का फैसला किया था।
19 मार्च 1983 को इस संबंध में नगर निगम से आवश्यक अनुबंध निष्पादित करने के निर्देश दिए गए थे, तब संकल्प 976 के माध्यम से २२ मार्च को आईडीए के मध्य रजिस्टर्ड अनुसरण में हस्तांतरण की कार्रवाई हुई थी।
रानी सराय स्थित प्राइवेट बस स्टैंड को बाफना होस्टल के पीछे इंदिरा कॉम्प्लेक्स के चार प्लॉट पर 1991 में शिफ्ट किया गया था, जिसके बाद लगातार आईडीए ने हटाने के लिए कहा।
इंदिरा कॉम्प्लेक्स के चार प्लॉट, जिनका लेआउट टीएनसीपी द्वारा स्वीकृत है।
जहां बस स्टैंड शिफ्ट किया गया था, वहां नगर निगम ने स्वीकृत नक्शे के विपरीत विभिन्न चरणों में 158 दुकानों का निर्माण कर लिया। वहां दो होटल बने हैं । सिंहस्थ के दौरान बस स्टैंड को तीन इमली चौराहे पर शिफ्ट किया जा चुका है। दुकानों व होटल आदि के निर्माण हटाकर परिसर के चार प्लॉट रिक्त कर आईडीए को उपलब्ध कराएं।
Updated on:
31 Jan 2018 02:42 pm
Published on:
31 Jan 2018 02:38 pm
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