
लोकायुक्त ट्रैप : तीन लाख की रिश्वत लेते धराया कार्यपालन यंत्री, रोते-रोते हुआ बेहोश, बोला- आत्महत्या कर लूंगा
इंदौर. महू-जुलवानिया सडक़ निर्माण के बकाया 50 लाख रुपए का भुगतान करने के लिए पीडब्ल्यू के कार्यपालन यंत्री को ठेकेदार से तीन लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। पहले उसने रिश्वत लेकर अपने ऑफिस बुलाया। वहां लोकायुक्त की टीम तैनात हो गई। वहां रिश्वत नहीं लेकर घर आने को कहा। यहां जैसे ही रिश्वत का पैसा लिया लोकायुक्त टीम ने उसे पकड़ लिया। टीम को देखकर उसके होश उड़ गए। वह रोते-रोते बेहोश होने लगा। साथ ही वह टीम को आत्महत्या की धमकी देने लगा।
लोकायुक्त की टीम ने बुधवार रात पलासिया क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री धर्मेंद्र जायसवाल के बंगला नंबर ई-2 में छापा मारा। ठेकेदार मेहरुद्दीन खान निवासी खरगोन से जायसवाल ने तीन लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। खान के रुपए देते ही बाहर मौजूद लोकायुक्त की टीम आ धमकी। टीम को देखकर जायसवाल के चेहरे की रंगत उड़ गई। उसके पास से लोकायुक्त ने तीन लाख रुपए जब्त किए।
लोकायुक्त डीएसपी संतोषसिंह भदौरिया ने बताया कि महू से जुलवानिया (बड़वानी) के बीच बनी 29 किलोमीटर की सडक़ के बकाया 50 लाख रुपए का बिल पास करने के लिए जायसवाल ने साढ़े तीन लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। सौदा तीन लाख रुपए में तय हुआ। खान ने इसकी शिकायत की थी। मामले में कार्रवाई की जा रही है।
कार्रवाई के दौरान छुपाता रहा मुंह
बताते हैं, जायसवाल ने खान को अपने ऑफिस पैस लेकर बुलाया था। यहां पैसा नहीं लिया। लोकायुक्त की टीम ऑफिस के बाहर तैनात रही। यहां कार्रवाई फेल हो गई। बाद में खान को जायसवाल ने अपने घर पर स्थित ऑफिस आने को कहा। तब लोकायुक्त ने जायसवाल को पकडऩे की योजना बनाई।
लोकायुक्त ने पकड़ा तो वह तबीयत खराब होने की बात कहने लगा। बताते हैं, उसने अफसरों को आत्महत्या तक की बात कह दी। हालांकि लोकायुक्त अफसर इसकी पुष्टि नहीं कर रहे। जिस समय लोकायुक्त ने जायसवाल को पकड़ा बंगले में मौजूद परिजन बाहर नहीं आए। कार्रवाई के दौरान ऑफिस से जायसवाल अपने बंगले में जाने लगा तो लोकायुक्त की टीम ने रोक लिया। कार्रवाई के दौरान वह मुंह छिपाता रहा।
डेढ़ महीने से लगा रहा था चक्कर
मेहरुद्दीन ने बताया, महू से जुलवानिया (बड़वानी) की 29 किलोमीटर लंबी सडक़ का ठेका 32 करोड़ रुपए में पास हुआ था। उनकी कंपनी चिराग कंस्ट्रक्शन को ये काम नहीं मिला। पार्थ इंडिया के पास ये टेंडर गया। खान इस कंपनी के लिए पेटी कांट्रेक्टर के रूप में काम कर रहे थे। 18 महीने का यह प्रोजेक्ट पूरा कर सडक़ निर्माण हो चुका था। हर बिल में कुछ पैसा रोका गया। इस तरह बाकी करीब 50 लाख रुपए के भुगतान के लिए डेढ़ महीने से जायसवाल के चक्कर लगा रहा था। मंगलवार को कहा था, मैं बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं करता।
नेता व अफसरों में सांठगांठ
ठेकेदार मेहरुद्दीन ने नेताओं व अफसरों में सांठगांठ का आरोप लगाया। खान ने मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री सचिन यादव, पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, गृहमंत्री बाला बच्चन, पीडब्ल्यूडी के पीएस, लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पीडब्ल्यूडी मंत्री होने के अलावा वर्मा खरगोन के प्रभारी मंत्री भी हैं। उन्हें काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन करने वाले थे। जिस तरह से पीडब्ल्यूडी जायसवाल पर मेहरबान है उससे लगता है नेता व अफसरों के बीच बड़ी सांठगांठ है। जो भी लोग इसमें शामिल हैं सबके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। ऐसे भ्रष्ट अफसरों को प्रमोट कर सरकार मजाक कर रही है।
रिकवरी निकली, फिर कैसे मिला प्रमोशन
मेहरुद्दीन का आरोप है, जायसवाल का भ्रष्टाचार से पुराना नाता है। उसका कार्यकाल झाबुआ व बुरहानपुर में भी विवादों में रहा। ग्वालू थरवर सडक़ पर जायसवाल व दो अन्य अफसरों की गड़बड़ी पकड़ में आई थी। यहां दो किलोमीटर सडक़ का निरीक्षण पीएस को करना था, लेकिन जांच के दौरान पूरी 12 किलोमीटर सडक़ ही रिजेक्ट हो गई। इसके चलते तीनों अफसरों पर पीएस ने 1 करोड़ 24 लाख रुपए की रिकवरी निकाली थी। इन्हें सस्पेंड करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जायसवाल को विभाग प्रमोशन देता रहा। अभी वह प्रभारी ईई है। समझ से परे है कि विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को गड़बड़ी की जानकारी है, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। तीनों अधिकारियों की दो वेतनवृद्धि रोकी जा चुकी है।
Updated on:
01 Aug 2019 12:35 pm
Published on:
01 Aug 2019 12:33 pm
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