
मोबाइल का एडिक्शन बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने पर रोक-टोक करना माता-पिता को भारी पड़ रहा है। दरअसल मोबाइल के कारण मध्यप्रदेश के इंदौर में कुछ दिन पहले ही एक 12 वर्षीय बच्चे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, वहीं अब शहर के मजदूर वर्गीय परिवार में मोबाइल लेने पर पिता की फटकार के बाद एक और 15 वर्षीय किशोर ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
एडिशनल डीसीपी जोन-4 अभिनय विश्वकर्मा के मुताबिक घटना धनश्री नगर की है। 15 वर्षीय मोहित पुत्र मांगीलाल मोरे की सोमवार देर रात मौत हो गई। जीजा हेमेंद्र ने पुलिस को बताया कि मोहित सातवीं तक पढ़ा है। उसके पिता मजदूरी करते हैं। मोहित खाली समय में मोबाइल चलाता रहता था। उसके पिता ने उसकी इस आदत को लेकर उसे डांटा था। गुस्से में 15 दिसंबर को मोहित ने जहरीला पदार्थ खा लिया। गंभीर अवस्था में उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बीच में स्वास्थ्य में सुधार हुआ लेकिन सोमवार को अचानक स्थिति बिगड़ी और मोहित की मौत हो गई।
एक्सपर्ट की मानें
अगर एक्सपर्ट की मानें, तो पैरेंट्स को शुरुआत से बच्चों की मोबाइल विहेवियर पर नजर रखना चाहिए। साथ ही नो मोबाइल टाइम फिक्स करना चाहिए। जैसे खाने के साथ ही पारिवारिक समय और सोने के समय तय होने चाहिए। साथ ही इस दौरान मोबाइल इस्तेमाल पर बैन होना चाहिए। फोन पर पैरेंट्स कंट्रोल होना चाहिए। साथ ही पैरेंट्स को देखना चाहिए कि आपका बच्चा दिन में कितनी देर तक स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहा है। आईफोन समेत कई सारे फोन में स्क्रीन टाइम डिटेल दी जाती है। पैरेंट्स को बच्चों के साथ बातचीत करनी चाहिए, जिससे बच्चे कुछ वक्त के लिए स्मार्टफोन से दूर रहेंगे। पैसेंट्स को बच्चों को फिजिकल गेम खेलने को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही पैरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों को सोशल इवेंट में लेकर जाएं। अगर स्मार्टफोन की लत बढ़ गई है, तो बच्चों को मनोचिकित्सक को जरूर दिखाएं।
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मोबाइल बच्चों के मनोरंजन का साधन हो गया है। इसलिए उनमें एडिक्शन बढ़ा है। वे इंटरनेट एडिकशन आर्डर का शिकार होने लगे हैं। चार-पांच घंटे लगातार फोन चलाने से वे गुस्सैल और चिड़चिड़े होते जा रहे हैं। ऐसे में जब कोई उनसे मोबाइल छीनता है तो उन्हें समझ ही नहीं आता कि अब वे क्या करें। घर में माता-पिता यदि मोबाइल का उपयोग करेंगे तो बच्चे भी वही सीखते हैं। इससे बचाव के लिए बच्चों को डांटने के बजाय उन्हें समझाने की जरूरत है। एक टाइम लिमिट तय की जाए कि बच्चे को कितनी देर फोन का उपयोग करना है, वहीं एडिक्ट बच्चों के लिए पेरेंट्स बिहैवियर थैरेपी का उपचार भी करवा सकते हैं।
-डॉ. रूमा भट्टाचार्य, मनोचिकित्सक
Published on:
27 Dec 2023 10:34 am
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