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मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स : स्वच्छता में नं. 1, स्मार्ट सिटी में 31वें क्रम पर

अमृत योजना के तहत स्वीकृत 650 करोड़ के प्रोजेक्ट में से 11 करोड़ के काम शुरू हो चुके हैं। शहर में 1180 किमी की पाइप लाइन का काम किया जा रहा है।

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narendra modi

मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स : स्वच्छता में नं. 1, स्मार्ट सिटी में 31वें क्रम पर

इंदौर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद देश को बदलने के लिए सपने देखे और जुट गए साकार करने में। सबसे पहले देशवासियों को दिया स्वच्छता का मंत्र। शहरों को आधुनिक बनाने के लिए चुने १०० स्मार्ट शहर। मोदी के दोनों ड्रीम प्रोजेक्ट की समीक्षा में शहर एक में तो नंबर वन पर है, वहीं दूसरे प्रोजेक्ट की रैकिंग में ३१ वें नंबर पर पहुंच गया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कई काम और एरिया आधरित विकास, हाउसिंग फॉर ऑल प्रोजेक्ट के काम शुरू नहीं हो सका है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजबाड़ा क्षेत्र की 742 एकड़ जमीन को रेट्रो फिटिंग फॉर्मूले पर विकसित करने के लिए निजी कंपनियों से एमओयू हो चुके हैं। सर्वे शुरू कर दिए हैं। प्रोजेक्ट की लागत 5099 करोड़ रुपए है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 68 हजार मकान बनाने हैं, लेकिन अब तक जमीन का इंतजाम कागजों पर ही है। शहर में ७ हजार आवास बनाए जा रहे हैं। निगम 2018 तक शहर में 50 स्लम कालोनियों के 2944 परिवारों का पुनर्वास करेगा।

१९ अप्रैल को २५० करोड़ रुपए के सुपर स्पेशलिटी प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन बनने वाले अस्पताल में ८ विभागों की सुपर स्पेशलिटी होगी। निर्माण ३१ दिसंबर २०१९ को पूरा होना है। ढक्कन वाला कुआं के पास जिस जमीन पर निर्माण कार्य शुरू किया गया है, वहां अब तक एनसीसी के दफ्तर, क्वार्टर और मेस चल रही है।

इन्हें शिफ्ट करने के लिए प्रशासन अब तक नया स्थान तय नहीं कर पाया है। सुपर स्पेशलिटी प्रोजेक्ट में शामिल शासकीय कैंसर अस्पताल को अलग कर ४० करोड़ रुपए के कैंसर रिसर्च सेंटर की योजना में शामिल किया है। फाइल राज्य और केन्द्र सरकार के बीच झूल रही है।

बकाया के आश्वासन पर सौंपी बसें
प्रशासन के सहयोग से आरटीओ ने एक हजार बसों का इंतजाम कर लिया। बस अधिग्रहण के लिए बस संचालक राजी नहीं थे, लेकिन प्रशासन द्वारा बकाया 1.२९ करोड़ के भुगतान के आश्वासन के बाद बसें सौंप दीं। आरटीओ जितेंद्रसिंह रघुवंशी ने बताया अधिग्रहित ५०० बसों में से अधिकतर रूट की हैं। एक हजार बसों का लक्ष्य पूरा करने के लिए 500 स्कूल-कॉलेज बसों का अधिग्रहण किया है।