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निर्वाचन आयोग का निर्देश: नवरात्रि गरबे में रात 10 बजे बंद करना होगा साउंड सिस्टम, नहीं तो खैर नहीं !

Mp assembly election 2023: नवरात्रि महोत्सव पर विधानसभा चुनाव 2023 की आदर्श आचार संहिता का साया पड़ गया है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार रात 10 बजे साउंड सिस्टम बंद करना होगा। उधर, कई बड़े पंडालों में गरबा उसी समय शुरू होता है। इससे आयोजक चिंतित हैं। मजेदार बात यह है कि अधिकांश आयोजक नेता हैं जो अब पंडाल में अपना ही होर्डिंग नहीं लगा सकते हैं।

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नवरात्रि पर्व 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। इंदौर में एक हजार से अधिक पंडालों में आर्केस्ट्रा, डीजे और अत्याधुनिक साउंड सिस्टम पर माता के भजनों-गीतों पर गरबे किए जाते हैं। ये आयोजन सामान्य तौर पर रात 12 बजे तक चलते हैं, लेकिन आचार संहिता के चलते रात 10 बजे साउंड सिस्टम बंद करने होंगे। जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने भी स्पष्ट कर दिया कि आचार संहिता का पालन किया जाएगा, जिसमें रात दस बजे बाद साउंड प्रतिबंधित रहेगा। निर्वाचन आयोग के रुख को देखते हुए आयोजक रास्ता खोजने में जुटे हैं कि किस प्रकार महोत्सव की भव्यता बरकरार रहे।

फिर लेनी होगी अनुमति

पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद से सभी आयोजनों की अनुमति एसीपी स्तर पर दी जाती है। इसके चलते कई गरबा, चुनरी यात्रा व दशहरा महोत्सव के आयोजकों ने पुलिस से अनुमति ली थी। अब सभी को फोन लगाकर सूचना दी गई है कि हमारी अनुमति मान्य नहीं रहेगी। विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर से नए सिरे से अनुमति ली जाए। कई आयोजकों ने पुलिस की अनुमति के साथ नया आवेदन सिंगल विंडो पर दिया है।

उलझन से बच रहे नेता

अधिकांश गरबा आयोजनों के पीछे राजनीतिक दलों के नेता होते हैं। चुनाव के चलते इस बार कई नेताओं ने अपनी आयोजन समिति के अन्य सदस्यों के नाम पर अनुमति मांगी है। इसके अलावा होर्डिंग व आयोजन स्थल पर फोटो व नाम नहीं देने का फैसला किया है, ताकि वे या पार्टी किसी उलझन में न आए।

आयोजक को देनी होगी जानकारी

गरबा महोत्सव सहित अन्य सभी आयोजनों की अनुमति को लेकर वैसा ही फार्मेट तैयार किया गया है, जैसा राजनीतिक दलों की सभाओं की अनुमति के दौरान भरा जाता है। आयोजकों को मंच का साइज, टेंट का आकार, माइक व साउंड सिस्टम का प्रकार, आयोजन में शामिल होने वालों व कुर्सियों की संख्या, कारपेट एरिया, फूलमाला, चाय, भोजन कितने लोगों का होगा जैसी जानकारी देनी होगी। मूर्ति को लाने के दौरान निकलने वाले जुलूस के बारे में बताना भी अनिवार्य है। पूर्व में आयोजन की अनुमति में वॉलेंटियर्स के नाम, सीसीटीवी व गरबा करने वालों के आइडी कार्ड बनाने की शर्त पर अनुमति दी जाती थी।

ये बोले आयोजक

नवरात्रि शब्द में ही रात्रि छिपा है और गरबे रात में ही होते हैं। ये वर्षों पुरानी परंपरा है, जिसे आचार संहिता के बंधन से दूर रखना चाहिए। गरबा पंडाल में किसी का चुनाव प्रचार थोड़ी किया जा रहा है, जो रोक लगाई जाए।
लोकेंद्रसिंह राठौर, हिंद रक्षक संगठन