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MP board और CBSE board किसमें कराएं बच्चे का एडमिशन ? जानिए यहां

-160 से अधिक सीबीएसई स्कूल शहर में -01 लाख से अधिक सीबीएसई के विद्यार्थी -3418 एमपी बोर्ड निजी-सरकारी स्कूल शहर में -5.24 लाख विद्यार्थी एमपी बोर्ड में

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CBSE board

इंदौर। बच्चों के पहली बार स्कूल में दाखिले को लेकर पैरेंट्स के मन में कई सवाल हैं। अहम सवाल एजुकेशन बोर्ड को लेकर है। शहर में प्रमुख तौर पर तीन बोर्ड के स्कूल हैं। इनमें ज्यादातर एमपी बोर्ड और सीबीएसई के हैं। आप दोनों में अंतर समझकर फैसला लें कि आपके बच्चे के लिए क्या बेहतर होगा। दोनों बोर्ड के मूल्यांकन और असेसमेंट में फर्क है। शिक्षाविद् डॉ. संगीता विनायका कहती हैं कि ज्यादातर विद्यार्थी एमपी बोर्ड से पढ़ रहे हैं, क्योंकि पढ़ाई का पैटर्न आसान है। सरकारी स्कूल बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

सीबीएसई और एमपी बोर्ड पैटर्न में क्या है अंतर

1- एमपी बोर्ड MP board

-अलग-अलग राज्यों के हिसाब से पैटर्न
-क्षेत्रीय भाषा, संस्कृति, अंग्रेजी-हिंदी पर फोकस
-राज्यवार ग्रेडिंग सिस्टम
-कभी-कभी सिलेबस में बदलाव
-राज्य के अंदर ट्रांसफर होने पर उपयोगी
-कम फीस में पढ़ाई
-सिलेबस और कौशल विकास अलग-अलग
-मूल्यांकन का पैमाना तय नहीं

2- सीबीएसई CBSE board

-पूरे देश में एक पैटर्न
-गणित, अंग्रेजी-हिंदी, विज्ञान पर फोकस
-सभी स्कूलों में एक जैसा ग्रेडिंग सिस्टम
-हर साल सिलेबस अपडेट
-राज्यवार ट्रांसफर होने पर उपयोगी
-पढ़ाई का खर्च अधिक
-प्रेक्टिकल बेस्ड एजुकेशन
-प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से असेसमेंट

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

सीबीएसई का देश में एक जैसा सेंट्रलाज्ड पैटर्न है। इसकी कई खासियत है। वर्तमान में जो बदलाव हैं, उसके हिसाब से बच्चे जेईई-नीट जैसी परीक्षाएं आसानी से दे पाते हैं। एमपी बोर्ड की अपनी खासियत है। कम खर्च में स्कूली शिक्षा मिलना मुख्य बिंदु है। - डॉ. उत्तम कुमार झा, शिक्षाविद्