
इंदौर. मध्यप्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम के कप्तान देवेंद्र बुंदेला ने शनिवार को खिलाड़ी के रूप में क्रिकेट से संन्यास ले लिया। जेंटलमैन गेम के इंदौरी जेंटलमैन माने जाने वाले मप्र रणजी टीम की दीवार बुंदेला उर्फ बुंदी भाई ने भावुक मन से क्रिकेट को अलविदा जरूर कहा, लेकिन कोच के रूप में क्रिकेट से जुड़े रहने का वादा भी किया।
लगातार 23 साल तक मप्र क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर सर्वाधिक रणजी ट्रॉफी मैच खेलने और 10 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज देवेंद्र ने संन्यास की घोषणा के वक्त हर उस शख्स को याद किया, जिनकी वजह से वे इस मुकाम पर पहुंचे। सभी का दिल से शुक्रिया अदा किया। बोले पिछले साल ही मन में आ गया था अब बस...। अच्छा खेलते हुए संन्यास लेना चाहता था और वह कर सका।
बुंदेला के खाते में हैं ये तमगे
देश में सबसे अधिक रणजी ट्रॉफी मुकाबले (145) खेलने वाले खिलाड़ी।
मप्र के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी।
रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक रन (9201) बनाने वाले तीसरे नंबर के बल्लेबाज।
रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक शतक (24) की सूची में ९वां स्थान, प्रथम श्रेणी में कुल 26 शतक।
टीम इंडिया की जर्सी नहीं मिलने का मलाल
देवेंद्र ने कहा, इस खेल से जुड़े हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह टीम इंडिया की जर्सी पहने। मेरा भी सपना था, मैने अपना काम ? किया और सिलेक्टर्स ने अपना। जब भी मप्र के लिए मैदान पर उतरा, यही महसूस करता कि देश के लिए खेल रहा हूं। कॅरियर से काफी संतुष्ट हूं। खेलना छोड़ रहा हूं, लेकिन एमपीसीए ने मौका दिया तो कोच के रूप में खेल से जुड़ा रहूंगा।
मिस करूंगा
बुंदेला ने कहा, संन्यास का निर्णय भावुक क्षण है। क्रिकेट ने मुझे जीना सिखाया, धैर्य, अनुशासन, संयम, हार-जीत, जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने की ताकत दी है। कई बार अगले दिन की स्ट्रेटजी बनाने में नींद उड़ जाती... संन्यास के बाद इसे मिस करूंगा।
मप्र बने रणजी चैंपियन
बुंदी कहते हैं क्रिकेट जीवन का सबसे यादगार क्षण 1999 में मप्र टीम का रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंचना है। मप्र टीम को एक बार रणजी चैंपियन बनते देखने का सपना है... उम्मीद है जल्द पूरा होगा।
Published on:
01 Apr 2018 03:16 pm
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
