
MPPSC Candidates Protest : मप्र लोक सेवा आयोग का अपने रुख पर फिर अड़ा नजर आया। बुधवार को शुरू हुआ अभ्यर्थियों का प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी रहा। करीब 30 घंटे बाद आयोग ने अभ्यर्थियों को बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन एक भी मांग नहीं मानी और कुछ भी लिखित में देने से इनकार कर दिया। नाराज अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन जारी रखने का फैसला लिया है। दो अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। शुक्रवार को भी अभ्यर्थियों का प्रदर्शन जारी है।
2019 की कॉपियां दिखाने, 2023 के रिजल्ट जारी करने, 87/13 का फॉर्मूला खत्म करने, 2025 की परीक्षा में 700 पदों पर भर्ती करने जैसी मांगों को लेकर हजारों अभ्यर्थी बुधवार को सड़क पर उतरे। भंवरकुआं के समीप डीडी पार्क से रैली निकाली और आयोग कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों का कहना था कि आयोग अध्यक्ष आकर बात करें। आयोग राजी नहीं हुआ। इसके बाद अभ्यर्थी ठंड में रात भर कार्यालय के बाहर ही बैठे रहे।
दूसरे दिन अभ्यर्थियों ने हनुमानजी की तस्वीर रखकर सुंदरकांड पाठ किया, भजन गाए और नारेबाजी करते रहे। धरना खत्म करवाने आयोग ने पुलिस बल भी बुलाया। शाम को एडीएम रोशन राय ने उनसे मुलाकात की। इसके बाद शाम 7 बजे आयोग के अध्यक्ष राजेश लाल मेहरा से प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। करीब 45 मिनट चली चर्चा में अभ्यर्थियों ने मांगें बताई, लेकिन आयोग ने इनकार कर दिया। हालांकि मांगों को शासन के सामने रखने का आश्वासन दिया।
पत्रिका टीम ने मौके पर पहुंचकर अभ्यर्थियों की पीड़ा जानने की कोशिश की। बातचीत में सामने आया है कि कई अभ्यर्थी अफसर बनने का सपना लेकर छोटे गांवों से शहर आए हैं। उन्हें परीक्षा देते हुए 5 साल हो गए, लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं है। उनका कहना है कि परिवार वालों ने बहुत उम्मीद से हमें यहां भेजा था। अब खाली हाथ वापस लौटना मुश्किल है।
पांच सालों से पीएससी की तैयारी कर रहा हूं। परीक्षा, परिणाम और इंटरव्यू में दो-तीन साल लग जाते हैं। इंतजार में उम्र बढ़ती जा रही है, कॉन्स्टेबल, एसआई जैसी कई परीक्षा की पात्रता से बाहर हो रहे हैं। -अर्पित सिंह बुंदेला, छात्र
मैं 2017 में एमपीपीएससी की तैयारी करने इंदौर आया था। मेरा पीएससी में पहला अटेम्प्ट 2022 में था, तब से परीक्षा दे रहा हूं। अब मैंने उम्मीद खो दी है कि आयोग हमारे साथ भी न्याय करेगा या नहीं। - पंकज साहू, छात्र
मैं 4 साल से तैयारी कर रहा हूं। अब तक चार प्रीलिम्स और दो मेन्स दे चुका हूं, लेकिन आज तक कॉपी देखने का मौका नहीं मिला। 87/13 का फॉर्मूले को बदला जाए। 87% परिणाम घोषित कर 13% छात्रों का परिणाम रोकना गलत है। - श्याम रघुवंशी, छात्र
मैं 2021 से एमपीपीएससी की जंग लड़ रहा हूं। परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी की अलग कहानी है। किसी को खाना पसंद नहीं तो किसी को पैसों की दिक्कत है। बावजूद सरकारी नौकरी का सपना लिए 18-20 घंटे किताबों में लगे रहते हैं। - यशराज चौकसे, छात्र
Published on:
20 Dec 2024 11:34 am
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