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बड़ा खुलासा…बढ़ते साइलेंट अटैक की वजह है कोरोना का ये वैरिएंट!

silent attacks: कोरोना का डेल्टा वैरिएंट सबसे खतरनाक साबित हुआ है। नई रिसर्च में सामने आया कि इसने थायरॉइड, हार्ट और मेटाबॉलिज्म सिस्टम को दी लंबी और गंभीर चोट।

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इंदौर

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Akash Dewani

May 28, 2025

New research of IIT Indore revealed that delta variant of corona has proved to be the major cause of increasing silent attacks

बढ़ते साइलेंट अटैक की वजह है कोरोना का ये वैरिएंट (सोर्स: AI फोटो)

silent attacks: क्या आपको कोविड-19 के बाद अब भी थकान, हार्ट या थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं हो रही है ? हो सकता है कि इसका कारण वायरस के अलग-अलग वैरिएंट हों। आइआइटी इंदौर (IIT Indore) की एक बड़ी रिसर्च में यह सामने आया है कि कोरोना वायरस के अलग-अलग रूप (variants) शरीर के अंदर लंबी अवधि तक असर छोड़ते हैं और कई बार हार्मोन, मेटाबॉलिज्म और शरीर के जरूरी संतुलन को भी बिगाड़ देते हैं। यह स्टडी प्रतिष्ठित 'जर्नल ऑफ प्रोटिओम रिसर्च' (Journal of Proteome Research) में प्रकाशित हुई है। ये स्टडी आइआइटी इंदौर, केआइएमएस भुवनेश्वर (KIMS Bhubaneswar), आइसीएमआर (ICMR) और आइआइटी इलाहाबाद (IIT Allahabad) के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है।

थायरॉयड, साइलेंट हार्ट अटैक जैसा खतरा

रिसर्च में सामने आया कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। इसने शरीर के हार्मोनल और मेटाबॉलिक सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित किया। इससे थायरॉइड विकार, कैटेकोलामाइन हार्मोन में गड़बड़ी और यहां तक कि साइलेंट हार्ट फेलियर जैसे जोखिम भी बढ़े हैं।

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डॉक्टर समझ सकेंगे मरीज और इलाज का तरीका

आइआइटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास एस. जोशी के मुताबिक, यह शोध बताता है कि कोविड-19 केवल सांस की बीमारी नहीं है। यह शरीर के हर हिस्से को गहराई से प्रभावित कर सकता है। डॉ. झा ने कहा, रिसर्च से हमें कोविड लक्षणों को समझने
और उनके सही इलाज के लिए दिशा मिलेगी। रिसर्च से डॉक्टर अब यह बेहतर समझ सकेंगे कि किस मरीज को किस तरह का इलाज देना है। साथ ही भविष्य में ऐसे वायरस के लिए और बेहतर दवाइयां और टेस्ट भी बनाए जा सकेंगे।

लंबे समय तक लक्षण

रिसर्च टीम के अनुसार, जब वायरस शरीर के अंदर मेटाबॉलिज्म और हार्मोन के रास्तों में गड़बड़ी कर देता है, तब बीमारी के लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं। इससे बार-बार थकान, सांस फूलना, हार्ट बीट का अनियमित होना, थायराइड बढ़ना जैसी दिक्कतें होती हैं। इस रिसर्च में रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी और मल्टी-ओमिक्स जैसी हाईटेक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।

डेटा एनालिसिस का नेतृत्त्व

आइआइटी इलाहबाद की प्रो. सोनाली अग्रवाल ने किया, वहीं आइआइटी इंदौर के डॉ. हेम चंद्र झा और केआइएमएस के डॉ. निर्मल कुमार मोहकुद ने रिसर्च को लीड किया।