17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

UPSC में 340वीं रैंक हासिल करने वाली पल्लवी वर्मा ने सातवें प्रयास में पाई सफलता

उम्मीद टूटी, हारी भी लेकिन सफलता लाई रंग.....

less than 1 minute read
Google source verification
exam.png

UPSC

इंदौर। यूपीएएससी सबसे कठिन परीक्षा होती है। मैं इस परीक्षा में छह बार हारी। दो बार सफलता की आखिरी सीढ़ी तक पहुंची, लेकिन मंजिल नहीं मिली। हिम्मत भी हारी, लेकिन परिवार ने मुझमें फिर हिम्मत भरी और 7वीं बार में मैंने यूपीएससी क्वालिफाई कर लिया। यह कहना है यूपीएससी में 340वीं रैंक हासिल करने वाली इंदौर की पल्लवी वर्मा का।

नकारात्मकता को छोड़ा

दो अटेम्पट में जब क्लियर नहीं कर पाई तो मन निराश हो रहा था। तीसरे के समय मैंने ध्यान को अपनाया। मन से नकारात्मकता खत्म हुई। मेंटल क्लियरिटी आई। असफलता के बाद लड़ने का साहस मिला।

बच्चों का करें सपोर्ट

पल्लवी ने बताया, मैं हिम्मत हार रही थी पर मेरा परिवार मेरे साथ था। लोग कहते थे, शादी कर दो, पैसा क्यों खर्च कर रहे हो? लेकिन, मेरे मां-पापा ने यह बात मुझ तक नहीं आने दी। मेरा पैरेंट्स से यही कहना है, बच्चों को सपोर्ट करें, अगर फेलियर आ रहे हैं, तो वे एक दिन सफल भी जरूर होंगे।

न हारने का जज्बा ही दिलाता है सफलता

पल्लवी ने बताया, उसने 2013 से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले अटेम्पट में खूब तैयारी की पर पूरी जानकारी न होने के कारण रह गई दूसरा अटेम्पट दिया। हिम्मत हार रही थी, माता मंजू और पिता चंद्रप्रकाश वर्मा, चाचा ओमप्रकाश ने कहा, तुम कर पाओगी। तीसरा अटेम्पट दिया, इंटरव्यू तक पहुंची, लेकिन रह गई। चौथे अटेम्पट में मेंस क्लियर नहीं हुआ और 5वें में प्रि भी नहीं निकला। छठवें में फिर इंटरव्यू तक पहुंची पर फिर असफल रही। 2020 में सातवां अटेम्पट दिया और यूपीएससी क्लियर किया। इस सफर में मैंने सीखा कि कभी हारना नहीं है।