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Parvati Mata Mandir: घने जंगलों के बीच, 3 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर हैं पार्वती माता मंदिर

locationइंदौरPublished: Aug 08, 2022 12:56:45 pm

Submitted by:

Manish Gite

Maa Parvati Mataji Temple- मंडलेश्वर-महू मार्ग पर विंध्याचल पर्वत श्रंखला में है यह स्थान…।

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Maa Parvati Mataji Temple, jam ghat

दुनियाभर में कई धार्मिक स्थल हैं और हर मंदिर की अपनी अलग ही मान्यता होती है। इसी तरह इंदौर से करीब 50 किलो मीटर दूर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के घने जंगल पर कुछ 3 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर भी एक मंदिर (parvati temple jaam ghat) है।

 

यह मंदिर माता पार्वती (parvati mata mandir) का है जो अष्टभुजाधारी प्रतिमा है। यह मंदिर एक हेक्टेयर से ज्यादा में फैला हुआ है। जाम खुर्द गांव पर बसा पार्वती धाम जाम घाट पर है। यह महू-मंडलेश्वर मार्ग (mahu mandleshwar road) पर आता हैै। मंदिर का परिसर करीब एक हेक्टेयर से ज्यादा में फैला हुआ है। इंदौर से महू होते हुए बड़गोंदा, मेण के रास्ते यहां तक पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर के अध्यक्ष रामेश्वर पटेल व उपाध्यक्ष कैलाश पाटीदार है। ग्रामीणवासी और ट्रस्ट के सहयोग से मंदिर का निर्माण करीब 2 करोड़ की लागत से किया जा रहा है।

 

यह निर्माण कार्य करीब चार-पांच साल से चल रहा है जिसके तहत् 6 हजार वर्गफीट एरिया में माता पार्वती के तीन मंजिला मंदिर का निर्माण होना है। स्कंद पुराण (Skanda Purana) में उल्लेख के मुताबिक राजा इंद्र ने यहां मूर्ति की स्थापना की थी। इस मंदिर में पार्वती माता की प्रतिमा को महिषासुर का वध करते दिखाया गया है। पत्थर से निर्मित माता रानी की मूर्ति सवा पांच फीट ऊंची और काफी आकर्षक है। यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं और मां उनकी हर मुराद पूरी करती है।

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पार्वती माता हर मुराद करती हैं पूरी

पुजारी गोर्धन शर्मा ने कहा गांव की एक महिला का बच्चा 15 साल तक लापता था जिसकी मिलने की आस सभी ने छोड़ दी थी लेकिन मंदिर में आकर महिला ने मन्नत मांगी और एक महीने बाद ही एक कार्ड के जरिए बच्चे की जानकारी मिली, जिसमें बच्चे का फोटो और पता लिखा था और परिवार वाले उसे लेने गए। तब से ही मंदिर में सभी की हर मन्नत पूरी होती है। इतना ही नहीं जिनकी सालों से गोद सूनी थी उनकी गोद भी मां के आशीर्वाद से भर गई है।

 

3 बार रूप बदलती हैं मां

मंदिर के पुजारी गोवर्धन शर्मा ने बताया मंदिर में नवरात्र में रोज सुबह 7 से शाम 7 बजे तक भक्तों को खिचड़ी व चाय दी जाती है। नवरात्र में यहां एक लाख से ज्यादा भक्त रोजाना दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि पार्वती माता यहां दिनभर में तीन बार रूप परिवर्तित करती हैं। गोर्धन शर्मा की कई पीढ़ियां इस मंदिर में पुजारी रह चुके हैं और गोर्धन शर्मा को भी इस मंदिर में पूजन करते हुए करीब 40 साल बीत गए हैं। वे कहते हैं मंदिर करीब 500 साल से भी ज्यादा पुराना है।

 

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