
दर्द से तड़प रहे मरीजों का डॉक्टरों ने नहीं किया इलाज, जानें क्या है वजह
इंदौर. प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों को सातवें वेतनमान की मांग को लेकर बुधवार से आंदोलन शुरू किया गया। देर रात सरकार ने आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया, इसके बावजूद डॉक्टरों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की। इमरजेंसी सेवाएं देने के बाद भी ओपीडी में मरीजों की जमकर फजीहत हुई। 24 जुलाई से तीन दिन की हड़ताल में पूरी तरह काम बंद करने की तैयारी है, जिससे हालात बदतर हो जाएंगे।
इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज सहित मध्यप्रदेश के 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और दंत महाविद्यालय के 3300 चिकित्सा शिक्षकों ने एक दिन का सामूहिक अवकाश ले लिया। मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ. पूनम माथुर और सचिव डॉ. राहुल रोकड़ ने बताया, कॉलेज के 300 से ज्यादा चिकित्सकों ने एमवाय अस्पताल के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया। शैक्षणिक कार्य और ओपीडी सेवाएं बंद रखी गईं। नीट यूजी काउंसलिंग का काम भी नहीं किया।
परेशान होते रहे मरीज
सुबह डॉक्टरों ने एमवाय अस्पताल के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया। जूडा भी प्रदर्शन में शामिल हुए। इससे 11 बजे तक मरीजों को ओपीडी में इलाज नहीं मिल सका। दोपहर तक कई विभागों के बाहर लंबी कतारें लगी रहीं। एमवाय में इस दौरान 2 बजे तक की ओपीडी में 3816 मरीज आए। कुल सात ऑपरेशन (इमरजेंसी) किए गए।
जूडा भी रहा शामिल
सीनियर डॉक्टर्स के समर्थन में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन भी आ गया है। जूडा अध्यक्ष शशांकसिंह बघेल ने कहा, प्रदेश के 55 में से 54 विभागों के साढ़े चार लाख अधिकारियों-कर्मचारियों को 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ मिल रहा है, केवल चिकित्सा शिक्षा विभाग को नहीं। टीचर्स पढ़ाने के साथ ओपीडी, आईपीडी सहित सारे कार्य करते हैं।
24 तक नहीं बनी बात तो बिगड़ेंगी स्वास्थ्य सेवाएं
24 से 26 जुलाई तक सामूहिक अवकाश की घोषणा की गई। इसके बाद भी मांगें नहीं मानने पर 10 अगस्त को सामूहिक इस्तीफा देंगे। डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर जाने से रोकने के लिए सरकार एस्मा लगा चुकी है। मंगलवार देर रात सभी कॉलेज डीन को इस संबंध में निर्देश दिए गए। एस्मा लगने पर ३ माह तक डॉक्टरों के अवकाश लेने पर पाबंदी लगाई गई है।
Updated on:
18 Jul 2019 12:43 pm
Published on:
18 Jul 2019 12:39 pm
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