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लोगों को नहीं मिल पा रहे हैं ‘जन्म प्रमाण-पत्र’, ये है बड़ा कारण

कलेक्टोरेट से सत्यापन नहीं होने के चलते नगर निगम नहीं कर रहा जारी

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birth certificate

इंदौर। 80 के दशक और उससे पहले के सालों में इंदौर में जन्म लेने वाले कई लोगों को जन्म प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे हैं। दरअसल, नगर निगम ने इनके प्रमाण पत्र ही बनाना बंद कर रखे हैं। ये सब कलेक्टोरेट से सत्यापन की प्रक्रिया नहीं होने के कारण बंद पड़े हैं। नगर निगम में जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया तय है। अस्पतालों में जन्म लेने वाले शिशुओं की जानकारी अस्पताल से ही सीधे पोर्टल पर डाल दी जाती है। नगर निगम उनके बाकी के दस्तावेजों की जांच करने के बाद उसकी प्रमाणिकता तय करते हुए जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर देता है।

वहीं घर पर जन्म लेने वालों के जन्म प्रमाण-पत्र बनाने का पूर्व में नियम था कि उनके जन्म संबंधी जगह का पटवारी से सत्यापन करने के बाद तहसील कार्यालय उसका एक प्रमाण-पत्र जारी करता था। इस प्रमाण-पत्र को नगर निगम में जमा कराना होता था। लेकिन तहसील कार्यालय से ये प्रमाण पत्र जारी होना ही बंद हो गए हैं, जिसके कारण अब घर पर जन्म लेने वालों के जन्म प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे हैं।

नहीं बन पाता है पासपोर्ट

घर पर जन्म लेने वालों के जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन पाने के कारण शहर के कई बुर्जुग परेशान हो रहे हैं। चूंकी जन्म प्रमाण पत्र के लिए पासपोर्ट बेहद आवश्यक है। इसके चलते उनका पासपोर्ट भी नहीं बन पा रहा है।

संदीप सोनी, अपर आयुक्त का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद कलेक्टर से सत्यापन नहीं हो पा रहा है, ऐसे में हम जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहे हैं। हमने रोक नहीं लगाई है।