
निजी व सरकारी स्कूलों की मनमानी, नहीं बना रहे बच्चों का डाटाबेस, 400 को नोटिस
इंदौर. नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है, लेकिन शासकीय एवं निजी स्कूल सरकार से तय गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं। स्टूडेंट पोर्टल पर सत्यापन के दौरान करीब 400 शासकीय एवं निजी स्कूलों की लापरवाही सामने आई है। दरअसल, हर स्कूल को अपने विद्यार्थी की पूरी जानकारी (डाटा बेस) तैयार कर पोर्टल पर लोड करना था, इसका फायदा नए सत्र के दौरान होने वाली प्रवेश प्रक्रिया में अभिभावकों को भी मिलता, लेकिन स्कूल डाटा बेस बनाने में फेल हो गए।
----------------------------
\ दो दिन का दिया वक्त, नहीं तो कार्रवाई \
स्कूलों में विद्यार्थियों की जानकारी ऑनलाइन एक जगह लाने के लिए पोर्टल विकसित किया गया है। इसमें शासकीय व निजी स्कूल के विद्यार्थी की समग्र जानकारी देना होती है। स्कूलों को बार-बार कहने के बाद भी आनाकानी जारी है। 400 से ज्यादा निजी व सरकारी स्कूलों ने पोर्टल पर जानकारी नहीं दी है। अब कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने सभी स्कूलों को नोटिस जारी कर कहा है कि दो दिन में डाटा बेस तैयार कर परियोजना समन्वयक को सूचित करें। अन्यथा की इस स्थिति में मान्यता समाप्ति का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया जाएगा।
------------------------------
ये है डाटा बेस की प्रक्रिया और विशेषता
समग्र शिक्षा अभियान और प्रोग्राम ग्रेडिंग इंडेक्स तय करने के लिए प्रत्येक स्कूल में विद्यार्थी की जानकारी जरूरी होती है। इसके आधार पर ही सरकार बच्चों के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार करती है। वर्तमान में राज्य जिलों में स्कूलों से जानकारी प्राप्त कर समग्र रिपोर्ट बना देते हैं। इसमें सरकारी, निजी स्कूल व मदरसों की जानकारी होती है। इसमें कुछ मेन्युअल व कुछ ऑनलाइन डाटा होता है। इससे डाटा में अंतर आता है, वांछित जानकारियां भी समय पर नहीं मिल पाती है। इससे सरकारी स्तर पर समग्र शिक्षा अभियान के लिए योजनाएं तैयार करने में भी देरी हो रही है।
---
शिक्षा का अधिकार का भी उल्लंघन
कलेक्टर ने सभी स्कूलों को कहा है कि विद्यार्थियों डाटा बेस के लिए इंट्री नहीं करने वाले स्कूल बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम व इसकी संशोधित धाराओं का उल्लंघन कर रहे हैं। स्कूलों द्वारा उदासीनता बरतने से विद्यार्थियों के लाभ की कई प्रक्रिया करने में देरी हो रही है। डाटा बेस व जानकारी होने से छात्रों की कई समस्याएं स्कूल स्तर पर ही निराकृत हो सकती है। डाटा बेस में विद्यार्थियों की पूरी जानकारी देना होती है। इसमें समग्र आईडी, आधार नंबर, केटेगरी, आर्थिक हालात जैसी महत्वपूर्ण जानकारी है। कलेक्टर के अनुसार इसी डाटा बेस के आधार पर जाति, आय और केटेगरी का प्रमाण पत्र भी स्कूलों में ही बन जाएगा। जो बच्चों के लिए मददगार बनेगा।
Published on:
19 Apr 2023 01:41 pm
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
