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ज्यादातर निजी अस्पताल नहीं कर रहे कैशलेस मेडीक्लेम से कोरोना मरीजों का इलाज, कैश हो तो ही मिलेगा इलाज

निजी अस्पतालों में लूट-खसोट : दर्द बढ़ा रहा ये अवसर, कोई भी बीमा हो, पहले जमा कराना होंगे नगद रुपये।

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ज्यादातर निजी अस्पताल नहीं कर रहे कैशलेस मेडीक्लेम से कोरोना मरीजों का इलाज, कैश हो तो ही मिलेगा इलाज

इंदौर/ जैसे जैसे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात बिगड़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे ही निजी अस्पतालों की मनमर्जी भी बढ़ती जा रही है। उपचार के नाम पर बेतहाशा वसूली के साथ कैशलेस मेडीक्लेम (बीमा) होने के बाद भी मरीजों से रुपये लिये जा रहे हैं। मरीजों से कहा जा रहा है कि, बाद में मेडीक्लेम कंपनियों से आप खुद रिफंड ले लेना। यहां तो आपको नगद भुगतान ही करना होगा।

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सीएम शिवराज से कार्रवाई की मांग

निजी अस्पतालों का ये रवैय्या मरीजों की पीड़ी बढ़ा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग उधार, ब्याज या फिर गहने बेचकर पैसे लाने तक को मजबूर हो रहे हैं। पत्रिका ने जब इसे लेकर पड़ताल की, तो चौकाने वाले खुलासे हुए। इधर, खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने बुधवार को इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शिकायत करते हुए निजी अस्पतालों की इस मनमानी पर कार्रवाई करने की मांग की है।


पहले एक लाख जमा कराओ

इंदौर में सरकारी वकील जयंत दुबे की पत्नी को जब भवरकुआं के निजी अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आई, तो अस्पताल ने पहले एक लाख रुपये जमा कराने को कहा, जबकि उनके पास कैशलेस मेडीक्लेम है।

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बीमा है...पर रुपये देने पर मिली छुट्टी

इंदौर के सुदामा नगर निवासी नारायण भूतड़ा कोरोना संक्रमित हो गए। उनका कैशलेस मेडीक्लेम है। दशहरा मेदान के पास निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती किया गया। अस्पताल का कहना था, कोई भी मेडीक्लैम हो, यहां बिल नगद ही चुकाना होगा। कंपनी से क्लैम आप खुद बाद में करते रहना। पहले दिन उनसे 50 हजार रुपये लिये, उसके अगले दिन 30 हजार लिये। इसके अलावा, रेमडेसिविर इंजेक्शन की रकम अलग से मांगी गई। पूरा बिल चुकाने के बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई।


कलेक्टर ने कही ये बात

मामले को लेकर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि, निजी अस्पतालों और बीमा कंपनियों को सख्त निर्देश दिये गए हैं। कैशलेस एव मेडीक्लेम को लेकर किसी भी स्थिति में मरीज को परेशानी नहीं होनी चाहिए।

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