
आज से बदल जाएगी सीमांकन, नामांतरण और डायवर्शन की प्रक्रिया
इंदौर. सरकार ने भू राजस्व संहिता में बड़े बदलाव किए हैं, ये संशोधन 25 सितंबर, मंगलवार से लागू हो रहे हैं। इन संशोधनों से आमजन को राहत मिलेगी। भू राजस्व संहिता 1959 की 122 धाराओं में बदलाव किए है। इसमें एक बड़ा बदलाव बंदोबस्त वयवस्था को बंद करने संबंधी है। अब आवेदन करने वाला जहां चाहेगा जितने टुकड़ों में चाहेगा सर्वेक्षण करा सकेगा अब भूमि सर्वेक्षण लगातार चलने वाली प्रक्रिया होगी। जबकि अब से पहले भूमि बंदोबस्त 30 साल में एक बार होता था और एक जिला इस भूमि बदोबस्त की यूनिट होता था। हालाकि इस बदलाव में भू स्वामी पर राजस्व का भार आएगा, सरकार सर्वेक्षण के दौरान हर साल टैक्स बढ़ा सकेगी या फिर रिवाइज कर सकेगी।
एक्सपर्ट व्यू-
-भू राजस्व संहिता में किए बदलाव में धारा 172 को लोप होने पर अवैध कॉलोनियों के निर्माण में प्रोत्साहन मिलेगा। यह धारा शहर के सुव्यवस्थित विकास के लिए महत्वपूर्ण है। अपील, निगरानी और रिव्यू में बदलाव से कोर्ट में प्रकरणों की संख्या में इजाफा होगा। संशोधन के लिए सुझाव दिए हैं, ताकि राहत मिल सके।
प्रकाश गोविंद पाठक, एडवोकेट
यह होंगे बदलाव
रिकार्ड में संशोधन होने पर माना जाएगा नामांतरण प्रक्रिया : अब जमीन नामांतरण की प्रक्रिया तब ही पूरी मानी जाएगी जब आवेदक का रिकॉर्ड भी संशोधित हो जाएगा। उसकी एक कॉपी आवेदक को भी मिलेगी। अब तक नामांतरण मामले में आदेश पारित हो जाता था, लेकिन रिकॉर्ड में संशोधन नहीं हो पाता था और आवेदन की कॉपी भी नहीं मिलती थी। बदलाव से लोगों को राहत मिलेगी।
भूमि स्वामी कर सकेगा बंटवारा : बंटवारा प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब भूमि स्वामी खुद ही अपनी इच्छा के अनुसार पुत्र- पुत्रियों को भूमि का बंटवारा कर सकेगा। अभी तक इस तरह के मामले में भूमि स्वामी जीवनकाल में भूमि का बंटवारा नहीं कर पाता था। ये तभी हो पाता था, जब भूमि स्वामी की मृत्यु हो जाती थी। इस संशोधन के बाद अब स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी।
सीमांकन में निजी एजेंसियों की मदद : सीमांकन प्रकरणों के निराकरण के लिए अधिकृत निजी एजेंसियों की मदद ली जा सकेगी। अगर दोनों पक्षों के बीच विवाद की स्थिति बनती है, तो तहसीलदार को हस्तक्षेप करने का अधिकार रहेगा। तहसीलदार के निर्णय से आवेदक संतुष्ट नहीं है तो वह एसडीओ के पास अपील कर सकता है। एसडीओ चाहेंगे तो टीम बनाकर सीमांकन करा सकेंगे।
रसीद होगी डायवर्शन आदेश : सबसे बड़ा बदलाव डायवर्शन प्रक्रिया में किया है गया है। अब भूमि के डायवर्शन के लिए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के न्यायालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। अब भूमि स्वामी भूमि उपयोग (मास्टर प्लान में विधि सम्मत लैंड यूज) के लिए देय भू-राजस्व एवं प्रीमियम की राशि की स्वयं गणना कर राशि जमा कर सकेगा और इसकी सूचना अनुविभागीय अधिकारी को देगा। यह रसीद ही डायवर्शन का प्रमाण मानी जाएगी।
कब्जा होने पर दो साल की सीमा हटी : धारा 250 में अब तक भूमि स्वामी की जमीन पर कब्जा होने पर दो साल में उसे तहसीलदार के यहां प्रकरण लगाना होता था, लेकिन अब यह सीमा समाप्त कर दी है। कब्जा की स्थिति में अब तहसीलदार शोकॉज नोटिस भी जारी करेंगे।
नामांतरण प्रकरण नहीं होगा खारिज : धारा 35 के तहत नामांतरण प्रकरण में तहसीलदार द्वारा संबंधित आवेदन के अनुपस्थित रहने पर प्रकरण निरस्त कर दिया जाता था, लेकिन अब एेसा नहीं होगा।
बढ़ेंगे कोर्ट प्रकरण : भू राजस्व संहिता में बदलाव के तहत धारा 50 (निगरानी), धारा 44 (अपील), धारा 51 (रिव्यू) में भी बदलाव किए गए हैं। इन संशोधन द्वारा राजस्व मंडल के समक्ष निगरानी प्रस्तुत करने का प्रावधान समाप्त कर दिया है। जिसके तहत आयुक्त, अपर आयुक्त का आदेश अंतिम होगा। अंतिम आदेश को केवल उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में ही चुनौती दी जा सकेगी। जिससे हाइकोर्ट में प्रकरणों की संख्या बढ़ेगी और भूमि स्वामी पर आर्थिक भार आएगा।
Published on:
25 Sept 2018 02:10 pm
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