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इंदौर. पिछले कई सालों से देखने को मिला है कि मध्यप्रदेश के कई इंजीनियरिग कॉलेज स्टूडेंट्स को आवश्यक सुविधा भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इसके चलते उन्हें नौकरी के लिए भटकना पड़ता है। आरजीपीवी द्वारा इस तरह के सात कॉलेजों को नए सत्र से बंद करने का फैसला लिया हैं। इसमें इंदौर के भी तीन कॉलेज शामिल हैं। हम इन कॉलेजों की परफॉर्मेंस पर नजर रख रहे हैं।
ये बात राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय(आरजीपीवी) के कुलपति सुनील कुमार गुप्ता ने कही। वह शनिवार को लक्ष्मीनारायण कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। इस दौरान पत्रिका से बातचीत की। उन्होंने कहा कि हम भारतीय इंजीनियर्स की तुलना विदेशों से करते हैं, लेकिन हम वहां उपलब्ध रिसोर्सेस की तुलना हमारे पास उपलब्ध संसाधनों से नहीं करते हैं। भारत के पास कभी भी टैलेंट की कमी नहीं रही है। विदेशों में हमारे यहां के इंजीनियर्स कमाल कर रहे हैं। हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। अमरीका की एमआईटी यूनिवर्सिटी का बजट लगभग ३० हजार करोड़ है। वहां एक यूनिवर्सिटी संसाधनों पर इतना अधिक खर्च कर रही है, लेकिन हमारे यहां इतना बजट नहीं होता है। यहीं वजह है कि क्वालिटी में हम पिछड़ जाते हैं।
एजुकेशन में इंडस्ट्री कॉलोबरेशन जरूरी
आज इंडस्ट्री की मांगों में तेजी से बदलाव आ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि सिलेबस को तैयार करते समय इंडस्ट्री की डिमांड को ध्यान में रखा जाए। राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय कोर्सेस में आवश्यक बदलाव की तैयारी में है ताकि स्टूडेंट्स बाजार की मांगों के अनुरूप खुद को ढाल सकें । हम टाइम टेबल भी इसी तरह से तैयार कर रहे हैं कि सेमेस्टर के बीच में स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप करने का मौका मिले। कई इंडस्ट्री से हमारी बात भी चल रही है जो स्टूडेंट्स को प्रैक्टिल नॉलेज प्रोवाइड करवाने का मौका देंगी।
आईटी सिटी नहीं होना बड़ा नुकसान
वे बताते हैं कि मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी कमजोरी है कि हम इतने डवलपमेंट के बाद भी एक भी आईटी सिटी डेवलप नही कर पाए हैं। इसके कारण नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है। हमें प्रदेश में कम से कम एक आईटी सिटी डवलप करना होगी ताकि युवाओं का उनके होम टाउन या उसके आसपास की नौकरी दिलाई जा सके। इंदौर में इस तरह के प्रयास लंबे समय से चल रहें हैं।
Published on:
21 Jan 2018 01:11 pm
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