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डॉक्टर को भारी पड़ गया आरटीआई का दुरुपयोग, कोर्ट ने सुनाया यह फैसला

आरटीआई कानून को दुरुपयोग पर रिटायर्ड डॉक्टर पर 25 हजार का जुर्माना, मामला ईएसआई टीबी अस्पताल का, हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

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Allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इंदौर. आरटीआई कानून के दुरुपयोग करने को लेकर हाईकोर्ट ने रिटायर्ड डॉक्टर पर 25 हजार रुपए जुर्माना लगाने के साथ सख्त टिप्पणी की है। इस मामले में अपील कर्मचारी राज्य बीमा निगम के नंदानगर स्थित टीबी अस्पताल के अधीक्षक ने की थी और खुद अपना केस लड़ा और जीत हासिल की।

दरअसल, अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय वैद्य के समक्ष बीमा अस्पताल के ही रिटायर्ड ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश तारे ने वर्ष 2017 में ऑडिट का प्रतिवेदन आरटीआई लगाकर मांगा था। उस वक्त नियमानुसार 10 रुपए का शुल्क नहीं भरा गया। फिर भी जानकारी दे दी गई। जानकारी मिलने की बात छुपाकर प्रथम अपील ईसीएस डायरेक्टर डॉ. जीएल बंगोरिया के समक्ष की गई। वहां से निर्देश मिलने पर दूसरी बार जानकारी दी गई। यह तथ्य भी छुपाकर राज्य सूचना आयोग को शिकायत की गई। शिकायत में डॉ. वैद्य का पता गलत लिखा गया, जिस कारण नोटिस नहीं मिला। इसपर वहां से 5-5 हजार रुपए का फाइल डायरेक्टर और अधीक्षक पर किया गया। डॉ. बंगोरिया ने फाइन भर दिया, लेकिन डॉ. वैद्य ने हाईकोर्ट में अपील लगाई। सारे साक्ष्य प्रस्तुत करने के साथ वकील की बजाए खुद 17 बार पेश होकर अपनी पैरवी की। सूचना आवेदनकर्ता व आयोग के वकील के साथ डॉ. वैद्य के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस एससी शर्मा की कोर्ट ने गत दिनों डॉ. वैद्य के पक्ष में फैसला सुनाया। अपीलकर्ता के तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, डॉ. तारे ने क्षय चिकित्सक के अमूल्य समय को बर्बाद करने के साथ उन्हें प्रताडि़त करने के लिए कानून का दुरुपयोग करते हुए कुटलतापूर्वक षडय़ंत्र रचा है। कोर्ट ने 30 दिन में डॉ. तारे को 25 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति डॉ. वैद्य को देने के आदेश दिए हैं।गौरतलब है, लगातार कानून के दुरुपयोग की बात कहकर केन्द्र सरकार इसमें बदलाव की तैयारी कर रही है।

क्या है अभी का कानून और क्या होंगे बदलाव?

- राइट टू इन्फर्मेशन ऐक्ट 2005 के दो सेक्शन में बदलाव हुए हैं. पहला है सेक्शन 13 और दूसरा है सेक्शन 16.

- 2005 के कानून में सेक्शन 13 में जिक्र था कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल या फिर 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, होगा.

- 2019 में संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा.

- साल 2005 के कानून में सेक्शन 13 में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की तनख्वाह का जिक्र है. मुख्य सूचना आयुक्त की तनख्वाह मुख्य निर्वाचन आयुक्त की तनख्वाह के बराबर होगा. सूचना आयुक्त की सैलरी निर्वाचन आयुक्त की सैलरी के बराबर होगी.

- 2019 का संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त की सैलरी और सूचना आयुक्त की सैलरी केंद्र सरकार तय करेगी.