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न्यूक्लियर वेस्ट से अब आंखों के कैंसर का होगा इलाज

एटॉमिक एनर्जी कमीशन के पूर्व चेयरमैन डॉ. केएन व्यास से बातचीत

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इंदौर

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Ramesh Vaidh

Oct 05, 2023

न्यूक्लियर वेस्ट से अब आंखों के कैंसर का होगा इलाज

इंदौर. हमारे वैज्ञानिक हर क्षेत्र में एडवांस टेक्नोलॉजी पर रिसर्च कर रहे हैं। आरआर कैट में शुरू हो रही तीन दिवसीय इंजीनियर्स कॉन्क्लेव में शामिल होने इंदौर आए एटॉमिक एनर्जी कमीशन के पूर्व चेयरमैन और डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के पूर्व सेक्रेटरी डॉ. केएन व्यास ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि एटॉमिक रिसर्च सेंटर हेल्थ, फूड और एडवांस टेक्नोलॉजी पर हमारे वैज्ञानिक किस तरह काम कर रहे हैं।
वेस्ट को कर रहे प्रोसेस
रेडियोएक्टिव वेस्ट को रिप्रोसेस कर कई उपयोगी रेडियोएक्टिव मटेरियल निकालते हैं। इनमें कुछ मटेरियल का इस्तेमाल हम मेडिकल सेक्टर में कर रहे हैं। रूदेनियम 106 (सॉफ्ट बीटा एमिटर) से आंखों के कैंसर का इलाज किया जा रहा है। आंखों में करीब 10 दिन प्लग लगाते हैं, जिससे मरीज को फायदा होता है। दिल्ली, हैदराबाद आइ इंस्टीट्यूट सहित देश के कई हिस्सों में इसके पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं। अब तक हम ये प्लग इम्पोर्ट करते थे, जो 7 से 8 लाख में आता था, लेकिन हम इसे 50 हजार रुपए में अस्पतालों को उपलब्ध करा रहे हैं।

डाई इंडस्ट्री के लिए कर रहे काम
जोधपुर में बड़ी संख्या में डाई इंडस्ट्री है। इंडस्ट्री से केमिकल युक्त कलर वाला पानी बहुत निकलता है, जिसे नदी में नहीं बहा सकते। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित तकनीक से एक कपड़े में केमिकल लगाकर उसे रेडिएक्ट करते हैं। इसके बाद कपड़े को पानी में डाला जाता है तो वह पानी से डाई और केमिकल सोख लेता है। हमने वहां इसके दो प्लांट शुरू किए हैं और एक-एक लाख लीटर पानी साफ किया है।

अनाज को खराब होने से बचा रहे
खाने की चीजों में कीड़े लग जाते हैं। दाल में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि इसमें प्रोटीन होता है। इनसे बचने के लिए हम बोरिक एसिड या अन्य केमिकल का इस्तेमाल करते हैं। फूड को कीड़ों से बचाने के लिए हम फाइटोसेनिटेशन ट्रीटमेंट देते हैं। इसमें फूड को रेडिएशन दिया जाता है, जिससे एग्ज और लार्वा मर जाते हैं। यह कोल्ड प्रोसेस है। हमारे यहां से आम अमरीका भेजे जाते हैं। इन आमों को भी रेडिएशन दिया जाता है, जिससे ये खराब नहीं होते। देश में इसके 24 से ज्यादा प्लांट ।

फसलों की नई वैराइटी कर रहे तैयार
चावल, मूंगफली सहित अन्य धानों के बीजों को जब रेडिएट किया जाता है तो वे टूट जाते हैं और यहीं से बीज की नई वैराइटी बनती है। इन्हें तैयार करने के बाद कृषि महाविद्यालय को ट्रायल के लिए देते हैं। कई ट्रायल के बाद इसे बाजार में उपलब्ध कराते हैं। जेनेटिक इन्हेंसमेंट से हम फसलों की वैराइटी तैयार करते हैं। कुछ दिनों में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (गेहूं की नई वैराइटी रिलीज करने वाला है।

रिएक्टर ऑपरेट कर रहीं महिलाएं
एटोमिक रिसर्च के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी (डीएइ) की कई यूनिट में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं, जिन्हें वुमन टेक्निशियन और ऑफिसर्स ऑपरेट कर रही हैं। आरआर कैट के भी हर डिपार्टमेंट में
महिलाएं हैं। जब मैं बीएआरसी का डायरेक्टर था, तब वहां आए कुछ देशों के राजदूत यह देखकर हैरान रह गए कि महिलाएं भी रिएक्टर ऑपरेट कर सकती हैं।

डॉ. व्यास ने ये भी कहा
- काकरापार में 700 मेगावॉट का एटॉमिक पॉवर स्टेशन पूरी क्षमता के साथ शुरू हो गया है। इसी डिजाइन के तीन और पॉवर स्टेशन निमार्णाधीन हैं। काकरापार में दूसरा स्टेशन अगले साल तक शुरू हो जाएगा। कोशिश है कि 2025 में राजस्थान में भी 700 मेगावॉट का एटॉमिक पॉवर स्टेशन शुरू हो जाए।
- हम थर्मल प्रोसेस से हाइड्रोजन तैयार कर रहे हैं। इसके लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने 150 लीटर प्रति घंटा की क्षमता वाला प्लांट बनाया है। इस तरह के प्लांट दुनिया में एक-दो ही हैं।