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एमपी के इस किले में सहस्त्रबाहु ने रावण को किया था कैद

250 साल पुराना है किला, देवी अहिल्या बाई ने यहीं से चलाया था पूरा राजपाठ

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एमपी के इस किले में सहस्त्रबाहु ने रावण को किया था कैद

एमपी के इस किले में सहस्त्रबाहु ने रावण को किया था कैद

इंदौर. 250 साल पुराना महेश्वर किला इंदौर शहर से करीब 100 किलो मीटर दूर है। यह नर्मदा नदी के तट पर बना हुआ है। महेश्वर के घाट पर हजारों छोटे-बड़े मंदिर हंैं। महेश्वर खूबसूरती के लिहाज से काफी लोकप्रिय है। यहां देश-विदेश से भी टूरिस्ट आते हैं। रानी देवी अहिल्या के शासनकाल से ही महेश्वर की साडिय़ां पूरे विश्व में आज भी बहुत फैमस है। रामायण और महाभारत में महेश्वर को महिष्मती के नाम से संबोधित किया है। देवी अहिल्याबाई के समय बनाए सुंदर घाटों का प्रतिबिम्ब नदी में दिखता है।


एक हजार हाथ
महिष्मती नगर (महेश्वर) में राजा सहस्त्रार्जुन का शासन था। वे क्षत्रियों के हैहय वंश के राजा कार्तवीर्य और रानी कौशिक के पुत्र थे। उनका वास्तविक नाम अर्जुन था। का नाम पहले महिष्मती हुआ करता था, उन्होंने दत्तात्रेय भगवान को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से भगवान दत्तात्रेय प्रसन्न हुए और वरदान मांगने की बात कही। तब सहस्त्राबाहु ने दत्तात्रेय से 1 हजार हाथों होने का वर मांगा। इसके बाद से उनका नाम सहस्त्रार्जुन पड़ गया।

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दादा ने कराया था मुक्त
जिस स्थान पर रावण भगवान शिव की पूजा कर रहा था, वह अचानक नर्मदा के जल में डूब गया। इसका कारण जानने के लिए रावण ने सैनिकों को भेजा। सहस्त्रबाहु ने अचानक नर्मदा का जल छोड़ दिया था, जिससे रावण की पूरी सेना भी बहाव में बह गई। नर्मदा तट पर रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। आखिर में सहस्त्रबाहु ने रावण को कैद कर लिया। रावण के दादा पुलस्त्य ऋषि सहस्त्रबाहु के पास आए और पोते को वापस मांगा। महाराज सहस्त्रबाहु ने ऋषि के सम्मान में उनकी बात मानते हुए रावण पर विजय पाने के बाद भी उसे मुक्त कर दिया और उससे दोस्ती कर ली।