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Social Work: स्कूटर पर लिखवाया ‘मैं आम आदमी हूं, लिफ्ट ले सकते हैं’

शहर में ऐसे कई लोग हैं, जो लोगों की मदद करने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं, लेकिन एक बंदे ने इस काम के लिए बिना किसी खास मेहनत के रास्ता निकाला।

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Narendra Hazare

Apr 17, 2016

scooter

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(इन्होंने अपनी गाड़ी के साइड में लिखवा रखा है, आप लिफ्ट ले सकते हैं।)

इंदौर।
शहर में ऐसे कई लोग हैं, जो लोगों की मदद करने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं, लेकिन एक बंदे ने इस काम के लिए बिना किसी खास मेहनत के रास्ता निकाला। रोजाना घर से ऑफिस और फिर ऑफिस से घर जाते हुए राह में ये लिफ्ट मांगने वाले लोगों को गाड़ी पर बैठाकर मंजिल तक छोड़ते हैं। उन्हें धीरे-धीरे यह काम इतना पसंद आने लगा कि अब गाड़ी पर ही लिखवा लिया है, लिफ्ट मांग सकते हैं।

समय खराब है, किसी अनजान पर कैसे भरोसा करें, जैसी बातों के बीच अब लोग उन जरूरतमंद लोगों को अपने वाहन पर नहीं बैठाते, जो मजबूरी में लोक परिवहन न मिलने से पैदल गंतव्य की ओर जाते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं भी हुई हैं कि लिफ्ट लेकर वाहन चालक को लूट लिया गया। चंद बदमाशों की वजह से लोग अब किसी को वाहन पर लिफ्ट देने से पहले कई बार सोचते हैं।

इनसे उलट शहर में सतीश शर्मा जैसे लोग भी हैं, जो नौकरीपेशा, विद्यार्थियों को लिफ्ट देने में आनंद का अनुभव करते हैं। शर्मा रोज करीब 8 से 10 लोगों को अपने मुकाम तक पहुंचाते हैं। किसी को उनसे लिफ्ट मांगने में झिझक न हो, इसके लिए उन्होंने अपने दोपहिया वाहन पर लिखवा लिया है, मैं आम आदमी हूं, लिफ्ट ले सकते हैं।

400 से ज्यादा को दे चुके लिफ्ट

केसरबाग रोड पर रहने वाले सतीश शर्मा रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी में नौकरी करते हैं। जब भी दफ्तर या घर के काम से सड़क पर होते हैं, पैदल चलते लोगों को लिफ्ट देकर उनकी दुआएं लेते हैं। पिछले करीब 8 माह में वे करीब 400 से अधिक लोगों को यह मुफ्त सेवा दे चुके हैं। इनमें कभी स्टूडेंट होते हैं तो कभी बुजुर्ग। यदि कोई ज्यादा ही दुविधा में हो तो, अपने काम को छोड़ उक्त जरूरतमंद को उसके घर तक छोडऩे भी चले जाते हैं।

किसी को मदद करने से मिलता है संतोष

शर्मा ने बताया, कई बार रास्ते में लोगों को लिफ्ट मांगने के लिए हाथ हिलाते देखता था। तभी मन में विचार आया कि गाड़ी पर जगह है और रास्ता एक ही है तो किसी अनजान मुसाफिर को लिफ्ट देने में क्या दिक्कत हो सकती है। उसके बाद से ही मैंने लोगों को लिफ्ट देना शुरू कर दिया। जब इस काम को किया और लोगों को राहत मिलते देखी तो अच्छा लगा। मुझे भी संतोष होता कि मैंने कुछ अच्छा काम किया और बदले में लोगों की दुआएं हासिल की।

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