इनसे उलट शहर में सतीश शर्मा जैसे लोग भी हैं, जो नौकरीपेशा, विद्यार्थियों को लिफ्ट देने में आनंद का अनुभव करते हैं। शर्मा रोज करीब 8 से 10 लोगों को अपने मुकाम तक पहुंचाते हैं। किसी को उनसे लिफ्ट मांगने में झिझक न हो, इसके लिए उन्होंने अपने दोपहिया वाहन पर लिखवा लिया है, मैं आम आदमी हूं, लिफ्ट ले सकते हैं।