22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खत्म हो गईं उत्तर पुस्तिकाएं, पेपर टलने की नौबत आई, 4 हजार कॉपियां की डिमांड

परीक्षाओं में उत्तर पुस्तिकाओं की कमी हो गई है। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आगामी परीक्षाओं पर संकट के बादल छा गए हैं। यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार कॉपियों की ऐसी किल्लत देखने को मिली है।

2 min read
Google source verification
davv17m.png

परीक्षाओं में उत्तर पुस्तिकाओं की कमी

इंदौर. इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (डीएवीवी) में परीक्षाओं में उत्तर पुस्तिकाओं की कमी हो गई है। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आगामी परीक्षाओं पर संकट के बादल छा गए हैं। यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार कॉपियों की ऐसी किल्लत देखने को मिली है। ऐसा नहीं है कि कॉपियां अचानक खत्म हो गईं। कोविड काल के बाद से ही यूनिवर्सिटी ने कॉपियां छपवाने को गंभीरता से नहीं लिया। स्थिति यह बनी कि कॉपियां छपवाने के लिए समय नहीं बचा और रेडिमेड कॉपियां खरीदने का प्रस्ताव बनाना पड़ा।

कॉपियों की कमी के कारण परीक्षाएं टालने की नौबत— पेपर शुरू होने के बाद तक यूनिवर्सिटी रेडीमेड उत्तर पुस्तिकाएं नहीं मंगवा सकी हैं। हालात यह हैं कि जिन केंद्रों ने परीक्षा के लिए 4-4 हजार कॉपियों की मांग की थी, उन्हें 300 से 400 कॉपियां ही भेजी गई हैं। जानकारी के अनुसार, गुरुवार तक कॉपियों की खेप यूनिवर्सिटी नहीं पहुंची। कॉपियों की कमी के कारण परीक्षाएं टालने की नौबत आती देख अधिकारी लगातार एजेंसी के संपर्क में हैं।

आगामी परीक्षाओं के लिए कॉपी प्रिंट कराने की प्रक्रिया भी अब तक शुरू नहीं हो सकी है। यूनिवर्सिटी ने दो साल पहले भी कॉपियों की कमी का हवाला देते हुए अर्जेंट में पेपर खरीदने के लिए टेंडर जारी किए थे। अब एक बार फिर कागज खरीदी के टेंडर बुलाए गए हैं।

इधर परीक्षा नियंत्रक डॉ. एसएस ठाकुर ने बताया कि परीक्षा के लिए उत्तरपुस्तिकाओं की कमी नहीं है। गुरुवार को हमें कुछ नई उत्तरपुस्तिकाएं मिल गई हैं। 8-10 दिन में पर्याप्त संख्या में उत्तरपुस्तिकाएं मिल जाएंगी। किसी भी पेपर पर कोई संकट नहीं है।

लापरवाही बरतने वालों पर हो कार्रवाई
कार्यपरिषद सदस्य डॉ. मंगल मिश्र ने उत्तरपुस्तिकाओं के मामले में लापरवाही बरतने के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, यूनिवर्सिटी का मुख्य काम परीक्षाएं कराना है। खुद की प्रिंटिंग प्रेस होने के बावजूद रेडिमेड कॉपियां खरीदनी पड़ रही हैं। इससे परीक्षाओं की गोपनीयता दांव पर लग गई है। पेपर खरीदी में देरी के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए।