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SIR : कट सकते हैं सिंधी समाज के हजारों नाम, विस चुनाव लड़े प्रत्याशी भी शामिल

SIR : स्पेशल इंटेंसिव रिविजन का काम लगभग पूरा होने को है। इसी बीच खबर सामने आई है कि, यहां रह रहे सिंधी समाज के हजारों लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जा सकते हैं।

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SIR

वोटर लिस्ट से कट सकते हैं सिंदी समाज के हजारों नाम (Photo Source- Patrika)

SIR :मध्य प्रदेश के आर्थिक नगर इंदौर में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन का काम लगभग समाप्त हो चुका है। इसी बीच खबर सामने आई है कि, यहां रह रहे सिंधी समाज के हजारों लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर किया जा सकता है। इसके पीछे की वजह ये है कि, बीते तीन-चार दशक पहले पाकिस्तान के सिंध से आकर भारत में बसे हिंदू शरणार्थियों की एसआइआर प्रक्रिया में मैपिंग नहीं हो पा रही है।

बीते विधानसभा चुनाव में इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे पी.एल राजा मंधवानी का नाम भी इस सूची में शामिल हैं। मंधवानी की तरह इंदौर में 15-20 हजार सिंधी शरणार्थी 2003 का इपिक नंबर (मतदाता की विशिष्ट पहचान वाली संख्या) नहीं दे पा रहे हैं। हालांकि, निर्वाचन आयोग की ओर से ऐसे शरणार्थियों को लेकर फिलहाल कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। जैकबाबाद सिंधी पंचायत ऐसे मतदाताओं को जुटाकर अपने हिसाब से फार्म भरवाकर जमा करवा रही है, लेकिन उन्हें भी ये पता नहीं कि, कितने नाम सूची में रहेंगे और कितने बाहर होंगे। इस दौरान सिंधी समाज से आने वाले इंदौर के सांसद शंकर लालवानी भी सिंधी शरणार्थियों के मामले में अलग से दिशा-निर्देश जारी करने की मांग कर रहे हैं।

इस क्षेत्र में 70 हजार से ज्यादा मतदाता सिंधी समाज से

बता दें कि, बीते लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची के अनुसार, इंदौर के क्षेत्र चार में कुल 2,44,594 मतदाता थे। इनमें से 70 हजार से ज्यादा मतदाता सिंधी समाज से हैं। इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या पाकिस्तानी शरणार्थियों की भी है। इसी क्षेत्र से बीते विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे राजा मंधवानी अब जैकबाबाद सिंधी पंचायत से सरपंच हैं।

इस तरह भरवाए जा रहे फार्म

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंधवानी का कहना है कि, उनकी तरह समाज के नागरिक हजारों की संख्या में हैं, जिनके पास 25 साल पुराना वोटर आइडी कार्ड या इपिक नंबर नहीं मिल सकता। सरकार हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दे चुकी है, लेकिन हमारे नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे। कहीं से कोई सीधा जवाब नहीं मिला। इसके बाद जैकबाबाद पंचायत एसआईआर के लिए शिविर लगाकर अपने स्तर पर फार्म भरवा रहे हैं। हम अभी इपिक नंबर की बजाय नागरिकता के प्रमाण-पत्र और दस्तावेज लगाकर फार्म जमा करा रहे हैं। फार्म की एक प्रति लोगों को रिकार्ड के तौर पर दी जा रही है, ताकि प्रमाणित हो सके कि, संबंधित की ओर से फार्म जमा किया गया था।

आयोग से मांगी सूची

मतदाता सूची की गड़बड़ी के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगा चुके कांग्रेस के पदाधिकारी रवि गुरुनानी ने मीडिया बातचीत में बताया कि, हमने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि, बूथ और क्षेत्र के हिसाब से सूची जारी करें। इससे स्पष्ट हो सकेगा कि, कितने शरणार्थी हैं या अन्य देशों से आकर बसे नागरिक हैं, जिनके नाम हटाए जा सकते हैं।

मैपिंग के लिए स्पष्ट निर्देश

नवजीवन विजय पंवार, उपजिला निर्वाचन अधिकार व एसआइआर प्रभारी ने कहा कि शरणार्थियों या किसी खास समुदाय के लिए निर्वाचन आयोग ने कोई अलग से निर्देश नहीं दिए हैं। अभी सिर्फ इतना निर्देश है कि 2025 की मतदाता सूची के नामों की मैपिंग 2003 की मतदाता सूची में उपलब्ध नामों से करना है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऐसे मतदाता जिनकी मैपिंग नहीं हो सकेगी, उन्हें नाम दर्ज करवाने का एक मौका मिलेगा। इसके लिए उन्हें सूची में लिखे 11 में से कोई एक दस्तावेज उपलब्ध करवाना होगा।

अलग से दिशा-निर्देश जारी होने चाहिए- शंकर लालवानी

इंदौर सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि, अलग से दिशा-निर्देश की जरूरत पाकिस्तान और अन्य देशों से आए हिंदू व सिंधी शरणार्थियों के लिए एसआईआर प्रक्रिया में अलग से दिशा-निर्देश जारी होने चाहिए। अबतक कुछ स्पष्ट नहीं है। इस बारे में आगे बात चल रही है।