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श्रीराम-भरत मिलाप प्रसंग में श्रोताओं के निकल पड़े आंसू

राम-भरत मिलाप प्रसंग में श्रोताओं के निकल पड़े आंसू

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इंदौर । जो सबका सुख और सबका हित करता है, उस विचार, चिन्तन, भावना तत्व का नाम राम है। श्रीराम तत्व को जिस क्रिया ने साकार रूप दिया, उसको भरत कहते हैं। श्रीराम भरत के प्राण हैं तो भरत राम की छाया हैं। संसार में सभी मनुष्यों को अपने कर्मों के आधार पर ही फल प्राप्त होता है।
उक्त विचार एमआर-9 कारस देव नगर स्थित मंशापूर्ण हनुमानमंदिर में चल रही श्रीराम कथा में कथा वाचक संजीव मिश्रा ने राम-भरत मिलाप प्रसंग की व्याख्या करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महाराज दशरथ द्वारा किए गए कर्मों का फल उन्हें उनके बेटों से दूर होकर चुकाना पड़ा, इसीलिए कहा गया है कि मनुष्य को अपने जीवन में सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए। प्रसंग के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू निकल आए। व्यासपीठ का पूजन मोहन सेंगर, उदल सेंगर, देवेंद्र गुप्ता, कैलाश जायसवाल, भोलेनाथ पाटिल, अनिल फरादे, बबलू ठाकुर, राजेश यादव, महेंद्र बैस सहित हजारों भक्तों ने किया।


बनेडिय़ा में भागवत कथा शुरू
बनेडिय़ा के चौधरी मोहल्ले में श्रीमद देवनारायण कथा ज्ञान गंगा यज्ञ शुरू हुआ। इससे पूर्व कलश यात्रा निकाली गई। शिव डेरी स्थित मंदिर पर पुजारी ने कलशों का पूजन कर कन्याओं के सिर पर रखवाए। जितेंद्र चौधरी ने कथा करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में सदैव कर्म करते रहना चाहिए। अपने कर्तव्य से कभी विमुख नहीं होना चाहिए। मनुष्यों को अपने गृहस्थ आश्रम में रह कर माता-पिता व बड़े-बुजुर्गों की सेवा करते हुए सदैव धर्म व नीति के कार्य करते रहने चाहिए। अपने कर्म करने के साथ भगवान के भजन-कीर्तन व मंदिरों में जाना चाहिए जिससे अच्छे संस्कार जागत होते रहते हैं।

विज्ञान,ज्ञान व अनुमान की त्रिवेणी है ज्योतिष विधा
ज्योतिष विधा विज्ञान, ज्ञान और अनुमान की त्रिवेणी है। इस विधा के माध्यम से मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। म.प्र. संस्कृत अकादमी का काम जल्दी ही प्रारंभ होना चाहिए, जिससे ज्योतिष विधा को बढ़ावा मिल पाएगा। कार्यक्रम में करीब 30 विद्वानों ने शोध-पत्र पढ़े। सम्मेलन में दस राज्यों से करीब 300 लोग शामिल हुए।