
इंदौर. तीन पैरामेडिकल कॉलेजों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच को पूरा होने में सात साल लग गए। लोकायुक्त जांच में यह भी अब पता चला कि एक ही छात्र के नाम से कई कॉलेजों ने छात्रवृत्ति हासिल कर ली, जबकि उस छात्र ने एडमिशन भी नहीं लिया था। कॉलेजों ने सामाजिक न्याय विभाग के अफसरों के साथ मिलकर घोटाला किया। अफसरों को भी आरोपी बनाया गया है। कॉलेज संचालकों को नोटिस जारी किए गए हैं। अब जल्द ही चालान पेश करने की तैयारी है।
मैंने तो एडमिशन लिया ही नहीं
कॉलेजों ने जिन छात्रों की स्कॉलरशिप निकाली थी उनके लोकायुक्त अधिकारियों ने बयान लिए हैं। एक छात्र ने बताया कि उसने किसी पैरामैडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया ही नहीं था। इसके बाद भी उसके नाम पर अलग अलग कॉलेजों ने छात्रवृत्ति निकाल ली गई। इधर कटनी, नीमच, खरगौन, खंडवा धार जिले के छात्रों को प्रवेश देने के बाद उनको स्कॉलरशिप देने का हवाला देकर घोटाला किया गया है।
लोकायुक्त ने 2014 में पायोनियर इ्टटयूट केपैरमैडिकल साइंस, जी मालवा कॉलेज और रितुन्जय इंस्टीट्यूट में हुए छात्रवृत्ति घोटालों को लेकर केस दर्ज करना शुरू किए थे। डीएसपी शिवसिंह यादव, आनंद यादव, संतोष भदौरिया व प्रवीण सिंह बघेल जांच कर रहे थे। नोटिस मिलने के बाद संचालकों ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। दो मामलों में याचिका निरस्त भी हो गई है। एक दो दिन में चालान पेश कर दिया जाएगा।
Published on:
28 Jul 2021 09:53 am
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