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यहां तैयार होता है प्रदेश के लिए जंगल

इंदौर जिले के बडग़ोंदा में सामाजिक वानकी इंदौर वृत्त की नर्सरी किसी जंगल से कम नहीं है। तीन तालाबों से घिरी इस नर्सरी में विशालकाय नीलगिरी के पेड़ों का जंगल बसा हुआ है। तेंदुए, हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय, खरगोर आदि जंगली जीव-जंतुओं का यह ठिकाना बन चुका है।

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इंदौर

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Sanjay Rajak

Jun 05, 2023

यहां तैयार होता है प्रदेश के लिए जंगल

यहां तैयार होता है प्रदेश के लिए जंगल

डॉ. आंबेडकर नगर(महू).

जहां आज घना जंगल तैयार हो चुका है। एक समय था, तब यहां की बंजर जमीन अतिक्रमण की जद में आ गई थी। जमीन को बचाने के लिए 1997 में वृहद पौधारोपण किया गया, यहीं आज जंगल है। 2001 में यहां नर्सरी स्थापित हुई और शुरुआत में 1 लाख पौधे तैयार किए गए। इसके बाद नर्सरी का दायरा और पौधों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

कई जिलों में जाते हैं पौधे

यहां तैयार किए गए पौधें इंदौर, देवास, धार, उज्जैन, रतलाम, खण्डवा, बुरहानपुर, सिहोर वन मंडल में भेजे जाते हैं। इसके साथ गैर वन क्षेत्र में पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, किसान, शासकीय विभाग आदि को बेचे जाते हैं। इसके अलावा बांस मिशन योजना के तहत भी पौधे तैयार कर अन्य जिलों में भेजे जाते हैं। हर साल विभाग को 35 से 40 लाख रुपए का राजस्व मिल रहा है। विलुप्त रही प्रजाति को बचा रहे वनपाल चतुर्वेदी के अनुसार, इस नर्सरी में विलुप्त होती प्रजाति कुसुम, बीजा, हर्रा, टिंसा, दहीमन, मोखा, गरुण, तेंदुए अंजन, अचार, खुरसानी इमली, बरगा, भिलसा, धावड़ा आदि पौधे तैयार किए जा रहे हैं ताकि इन पौधों को दोबारा जंगल में लगाया सके। 50 वॉटर बॉडी तैयार की इस नर्सरी में एक बड़ा तो दो छोटे तालाब हैं। मिट्टी कटाव को रोकने और जल संरक्षण को लेकर 50 से अधिक वॉटर बॉडी तैयार की है। जिसमें कंडुर ट्रेंच आदि शामिल हैं।

गेर वन क्षेत्र के विभागों को देते हैं पौधे

वनपाल घनश्याम चतुर्वेदी ने बताया कि हर साल यहां पर 80 से अधिक प्रजाति के 15 से 20 लाख पौधे तैयार किए जाते हैं। जिसमें 7 से 8 लाख पौधे वन विभाग अलग-अलग वनमंडल को दिए जाते हैं। वहीं 2 से 3 लाख पौधे गैर वन क्षेत्र के लिए किसान, शासकीय विभाग, निजी आदि को दिए जाते हैं। यहां पौधे के लिए हम खुद ही वर्मी खाद तैयार करते हैं।

मिल चुका है पुरस्कार
- हर साल 15 से 20 लाख पौधे होते हैं तैयार।
- विभाग को मिलता है 35 से 40 लाख रुपए का राजस्व।
- हर साल 5 हजार किलो खाद होता तैयार।
- 110 हेक्टेयर में फैली नर्सरी। बेहतर नर्सरी के लिए मिल चुका है पहला पुरस्कार।
- जन सरंक्षण के लिए 50 से अधिक वॉटर बॉडी की तैयार की।
- बडग़ोंदा नर्सरी प्रदेश की सबसे बड़ी नर्सरी है।

इनका कहना है

हर साल लाखों पौधे तैयार किए जा रहे हैं। यहां पिछले 25 वर्षो में 70 हजार से अधिक वृक्षों का जंगल तैयार हो गया है, जो कि पहले बंजर जमीन हुआ करती थी।

संतोष बिल्लोर, प्रभारी, बडग़ोंदा नर्सरी