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स्मारक की हाइटेक धर्मशाला का प्रस्ताव हवा में

डॉ. बीआर आंबेडकर की जन्मभूमि स्मारक पर हर साल बाबा साहेब की जयंती पर लाखों की संख्या में अनुयायी आते है। इसके अलावा सालभर यहां अनुयायिायों का तांता लगा रहता है। वर्षो की मांग पूरी करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने १४ अपै्रल को स्मारक समिति को रोडवेज की ३.२ एकड़ जमीन दी थी। समिति ने इस जमीन पर हाइटेक धर्मशाला बनाने का प्रस्ताव भी बनाकर भेज दिया। लेकिन आज तक प्रस्ताव पास नहीं हुआ है। बता दे कि १४ अपै्रल को स्मारक आने वाले लाखों श्रद्धालु को टेंट और खुले में सोना पड़ता है।

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इंदौर

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Sanjay Rajak

Sep 29, 2023

स्मारक की हाइटेक धर्मशाला का प्रस्ताव हवा में

स्मारक की हाइटेक धर्मशाला का प्रस्ताव हवा में

डॉ. आंबेडकर नगर(महू).

देश के संविधान रचियता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली पर उनकी जयंती १४ अपै्रल को महाराष्ट्र सहित देशभर से उनके लाखों अनुयायी सारा काम छोड़ जयंती पर स्मारक पर पहुंचने लगते है। लेकिन यहां उनके रूकने की व्यवस्था कुछ नहीं है। इस बार बाबा साहेब की जयंती १४ अपै्रल को महू आए मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने स्मारक से १.५ किमी दूर बंद पड़े रोडवेज की ३.२ एकड़ जमीन स्मारक के नाम कर दी थी। ताकि यहां पर हाइटेक धर्मशाला बन सके। धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हो सके। स्मारक समिति ने धर्मशाला का प्रोजेक्ट भी बनाकर कलेक्टर को सौंप दिया। लेकिन प्रोजेक्ट की फाइल अब तक इंदौर-भोपाल के बीच में ही झूल रही है।

जहां था बैरक, वहीं बनाया स्मारक

डॉ. आंबेडकर के स्मारक का इतिहास भी बड़ा रौचक रहा है। आज जहां 22 हजार 500 वगज़्फीट में स्मारक बना हुआ है। वहां 46 साल तक पहले सेना का बैरक हुआ करता था। 1956 में बाबा साहेब के निधन के बाद उनके जन्म स्थान को लेकर असमंजस था। जिसके लिए महाराष्ट्र के भंते धमज़्शील 1970 में महू आए। यहां बाबा साहेब के पिता रामजी सकपाल जो कि सेना में सुबेदार थे, के बैरक पर पहुंचे। काली पल्टन स्थित इसी बैरक में बाबा साहेब का जन्म हुआ और दो साल तक यहीं रहे। इसके बाद आंबेडकर जमीन लेने और के लिए डॉ. आंबेडकर मेमोरियल सोसायटी का गठन हुआ। 1976 में स्मारक के लिए केंद्र सरकार ने लैंड यूज बदलकर 22 हजार 500 वगज़्फीट जमीन दी। 14 अप्रैल 1991 को बाबा साहेब की 100वीं जयंती पर तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने जन्म स्थली पर स्मारक की आधारशिला रखी। इसी दिन मुंबई से बाबा साहेब का अस्थि कलश यहां लाया गया। जिसे हर साल 14 अपै्रल को नगर में भ्रमण कराया जाता था। इसके बाद से यहां अनुयायियों का आना शुरू हो गया।

यह सुविधाएं मिलेगी धर्मशाला में

समिति ने जो प्रोजेक्ट तैयार किया है। उसमें भोजन शाला, ऑटोटियम, मेडिटेशन हॉल, दर्शनार्थियों के रूकने के लिए करीब १०० कमरे, चार से अधिक बड़े हॉल, पार्किंग आदि बनाया जाना है। इसके साथ सौंदर्यीकरण भी बाबा साहेब के स्मारक के अनुसार ही किया जाना है।

बातचीत

स्मारक समिति सचिव राजेश वानखेड़े ने बताया कि शासन को प्रस्ताव बनाकर दे दिया है। हमारी कोशिश है कि इसी वर्ष धर्मशाला प्रोजेक्ट कैबिनेट में पास हो जाए। ताकि जमीनी स्तर पर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस निर्माण में कम से कम २ दो साल का समय लेगा। स्मारक में हर दिन १ हजार से अधिक अनुयायी दर्शन के लिए आ रहे है, लेकिन उनके रूकने की कोई व्यवस्था नहीं है।