
इंदौर. एक कहावत है, बंदर का जाने अदरक का स्वाद लेकिन बंदरिया तो जानती है। उसे अदरक काली चाय बहुत पसंद है किसी दिन चाय में अदरक नहीं होता है तो वह पीते ही समझ जाती है कि इसमे कुछ लोचा है। मजेदार बात ये है कि चिड़ियाघर में कोई भी मेहमान आता है तो ऑफिस में आकर बैठ जाती है। उसे मालुम है कि चाय आने वाली है।
ऐसे पड़ी चाय की आदत
ऑफिस में आने वाली चाय के कप को उठाकर उसने चाय पीकर देखी तो उसका स्वाद बंदरिया टीया को अच्छा लगा फिर क्या था जब भी ऑफिस में चाय आती है वह चाय के लिए तैयार हो जाती है। खासतौर पर अदरक की चाय उसे खासी पसंद है। अगर ऑफिस में चाय आए और उसे नहीं मिले तो वह अपमानित महसूस कर इसारे करने लग जाती है।
मेहमान के आने पर उसे मालुम पड़ जाता कि अब चाय आएगी। कई बार तो वह कैटीन से ही साथ हो जाती है। कैटीन संचालक को भी मालूम है कि टीया को अदरक वाली चाय पसंद है। जैसे वह आकर बैठती है, उसे चाय दे दी जाती है।
पांच माह पहने देपालपुर से गांव में करंट लगने से बंदरिया की मां की मौत हो गई थी। लेकिन उसकी दो दिन का बच्चा बच गया। गांव वालों ने उसे वन विभाग को सौप दिया उन्होने उसे चिड़ियाघर के दे दिया। चिड़ियाघर के डॉक्टर और उनकी टीम ने बच्चे को बचाया और उसका नाम टीया रख दिया। टीपा ऑफिस के पास के कमरे में ही रहती है। जिसमें उसके लिए एक झूला भी लगा है।
चिड़ियाघर की प्यारी सदस्य बनी
चिड़ियाघर प्रभारी डॉ उत्तम यादव ने बताया कि जब टीया आई तब वह दो दिन की थी। उसका इलाजा करवाया गया। वो अब चिडियाघर के परिवार का हिस्सा है । सबसे प्यारी सदस्य है प्रबंधन और स्टाफ की तरफ से टीया का विशेष ध्यान रखा जाता है । वो अन्य बंदरों की तरह पिंजरे नहीं रहती। ये बात बिलकुल सही कि उसे अदरक वाली चाय बेहद पसंद है
Published on:
14 Jul 2021 02:58 pm
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