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अचानक बढ़े सब्जियों के दाम, आलू, प्याज, लहसुन समेत इन चीजों ने आसमान छुआ

Vegetable Price Increase : देवी अहिल्या बाई होलकर थोक मंडी की तो यहां मंगलवार को प्याज, आलू और लहसुन की आवक कम रही, जिससे इनके दामों में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी देखने मिली।

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Vegetable Price Increase

Vegetable Price Increase : मध्य प्रदेश में जहां एक तरफ भारी बारिश का दौर जारी है, जिसने मंडी में सब्जियों की आवाजाही प्रभावित की है। बात करें प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की देवी अहिल्या बाई होलकर थोक मंडी की तो यहां मंगलवार को प्याज की आवक कम रही। सोमवार के मुकाबले करीब 40 हजार बोरी आवक घटी और 60 हजार बोरी माल ही मंडी पहुंचा। यही कारण रहा कि प्याज के दाम में 150-200 रुपए की मजबूती देखी गई। प्याज के भाव ऊपर में 3600-3800 रुपए बिका। आलू की आवक भी सिर्फ 10 हजार बोरी ही रही।

हालांकि, आलू के दामों में कोई तेजी नहीं रही। लहसुन मंडी में व्यापारियों और किसान ने चीन की लहसुन के विरोध में कामकाज बंद रखा। प्रदेश की कुछ अन्य बड़ी लहसुन मंडियों में भी आंशिक व्यापार विरोध के कारण प्रभावित हुआ।

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मंडी के ताजा भाव

-प्याज बेस्ट 3600 से 3800
-एवरेज 3200 से 3400
-अच्छा गोल्टा 3200 से 3400
-गोल्टी 2900 से 3000
-आलू बेस्ट 2200 से 2300
-एवरेज 1900 से 2100
-गुल्ला 1500 से 1700

काबुली चने के दाम गिरे

काबुली चने में तेजी लाकर लाभ कमाने वाले बड़े स्टॉकिस्टों को अब असल व्यापार के सामने हाथ टेकना पड़ रहा है। काबुली चने में ऊंचे दामों पर घरेलु मांग के साथ निर्यातकों की लेवाली भी बेहद सुस्त है। जबकि, आवक का दबाव धीरे-धीरे मंडी में बना हुआ है। मंगलवार को काबुली चने में जोरदार गिरावट देखने को मिली है। काबुली चना कंटेनर मे करीब 400 रुपए तक टूट गया। बीते दिनों काबुली के स्टाक में कई नेताओं और रसूखदारों के करीबी उतर गए थे। कृत्रिम तेजी भी लाई गई।

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बाजारों में ग्राहकी घटी

व्यापारियों ने कहा कि ऊंचे भावों की वजह से असल लेवाल दूरी बनाता जा रहा है। विदेश में भी मध्यम किस्म का काबुली पर्याप्त है। ऐसे में बाजार में अभी और घटना चाहिए। दूसरी ओर चना कांटे में भी जैसी ग्राहकी होना चाहिए वैसी नहीं है। दूसरी ओर मटर के आयात सौदे लगातार हो रहे हैं। किराना बाजार से लेकर अन्य तमाम बाजारों में ग्राहकी सुस्त है। इंदौर मंडी में मंगलवार को चना कांटा 50 रुपये घटकर 7700 विशाल चना 7500 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।

दलहन की कीमतों घटीं

आयातित तुवर की आवक बाजार में बढ़ती जा रही है, जबकि लेवाली बेहद सुस्त बनी हुई है। दरअसल, दालों में भी बिक्री नहीं है। ऐसे में मिलें भी दलहन खरीदी संभलकर कर रही है। ज्यादातर दलहन की कीमतों में गिरावट का रुख बना हुआ है। इसके अलावा दलहन की बोवनी भी अधिक हुई है, जिसका भी असर हाजिर बाजारों पर देखा जा रहा है। तुवर दाल में भी उपभोक्ता मांग नहीं है। इसके असर से मंगलवार को तुवर और दाल दोनों में करीब 100 रुपये टूट गए।