
इंदौर। भीषण गर्मी के चलते पीने के पानी का संकट गहराने लगा है। शहर का बड़ा हिस्सा पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटक रहा है। पानी के लिए धरना, प्रदर्शन के साथ भूख हड़ताल तक होने लगी है। शहर के अनेक कॉलोनी-मोहल्ले अब नगर निगम के टैंकरों के भरोसे ही हैं। नर्मदा का पानी शहर की नई कॉलोनियों के साथ दूरदराज के कॉलोनी मोहल्लों में नहीं पहुंच रहा है। ये लोग टैंकरों, बोरिंग पर ही निर्भर हैं। आधे से ज्यादा बोरिंग भी सूख गए हैं और जो बचे हैं वे मई की तेज गर्मी में साथ दे पाएंगे कहना मुश्किल ही है। शहर के बड़े हिस्से को पानी पिलाने वाला यशवंत सागर भी आखिरी सांसें गिन रहा है। बिलावली में अब पानी बचा नहीं है। सब दूर पानी को लेकर परेशानी का दौर चल रहा है ऐसे समय नगर निगम के जिम्मेदार चौंकाने वाली जानकारी दे रहे हैं।
निगम के जल कार्य प्रभारी बलराम वर्मा ने कहा है कि नर्मदा के 450 एमएलडी पानी में से 30 एमएलडी पानी रोजाना लीकेज में बह जाता है। यदि इस पानी को बचा लिया जाए तो रोजाना 4 लाख लोगों को पानी दिया जा सकता है। यह यशवंत सागर से प्रतिदिन शहर में प्रदाय होने वाले पानी की मात्रा के बराबर है। यानी कि यशवंत सागर से मिलने वाले पानी के बराबर व्यर्थ ही बह रहा है। इसे नगर निगम की घोर लापरवाही भी कहा जाएगा कि इतना पानी रोजाना यूं ही बह जाता है और करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद निगम इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। होना तो यह चाहिए है कि कुछ संसाधन जुटाकर नर्मदा लाइन के इन लीकेजों को सुधारा जाता और बेशकीमती पानी को शहर के दूसरे हिस्सों में वितरित किया जाता। शहर में पाइप लाइनों में लीकेजों के कारण सीवरेज लाइनों की गंदगी भर जाती है और सप्लाय के समय काफी देर तक नलों से गंदा पानी ही निकलता है।जब तक गंदा और बदबूदार पानी नहीं बह जाता तब तक लोग इस पानी को यूं ही बहा देने पर विवश होते हैं। यदि शहर के लीकेज को सुधार लिया जाए तो व्यर्थ बहाया जाने वाला पानी तो रूकेगा ही साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। गंदा पानी पीने से होने वाली बीमारियां नहीं होंगी। दूसरी ओर सकंट की इस घड़ी में हम आज भी नर्मदा के पानी का दुरुपयोग कर रहे हैं। आज भी वाहन धो रहे हैं और सड़कों पर छिड़काव कर रहे हैं। नलों को खुला छोड़ कर सड़कों पर पानी बहा रहे हैं। शायद हम बेशर्म हो गए हैं या फिर हमारे सोचने-समझने की शक्ति ही खत्म हो गई है तभी तो हम ऐसी अमानवीय हरकतें करने से नहीं चूकते। नगर निगम साथ ही शहरवासियों को नर्मदा के पानी को लेकर गंभीर होना पड़ेगा। एक ओर हम नर्मदा को मां कहते नहीं अघाते, वहीं उसके पानी की कोई कद्र ही नहीं करते। बात तो होती है पानी की एक-एक बूंद को सहेजने की, लेकिन यहां तो चार लाख लोगों के उपयोग में आने वाला पानी रोजाना ऐसे ही बहा दिया जा रहा है। आज समय है पानी को सहेजने का। इसे चूक गए तो आने वाली पीढिय़ों को तो इसका मौका ही नहीं मिलेगा, क्योंकि जब तक तो पानी खत्म ही हो जाएगा।
Published on:
02 May 2018 11:47 am
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