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नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय

नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय

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नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय

इंदौर। एक समय था जब राजस्थान में सूखे इलाकों के लोग खटिया पर बैठकर नहाते थे और बड़ी परात नीचे रख देते थे, जिससे कि पानी जाया नहीं हो और उसे फिर से काम में लाया जा सके।

बाद में वहां के लोगों ने उन बंजर इलाकों में इतनी मेहनत की कि वे पानी-पानी हो गए। अब उन स्थानों पर लोगों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ता। उन्होंने पानी को सहेजने की ऐसी व्यवस्था की कि अब उनके यहां कभी पानी की दिक्कत नहीं आएगी। इसके उलट अब हम उस दौर के सूखे राजस्थान की ओर लौट रहे हैं।

अब हमारे प्रदेश में पानी का संकट पैदा हो रहा है। प्रदेश के कई इलाके ऐसे हैं, जहां भारी पेयजल संकट पैदा हो गया है। हमारा इंदौर जिला भी इससे अछूता नहीं रह गया है। जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां इस गर्मी में पानी की भारी किल्लत पैदा हो गई है। जरा कल्पना करें कि पानी को लेकर राजस्थान जैसे हालात कहीं हमारे जिले में पैदा हो गए तो हम पर क्या बीतेगी? शहर के अनेक क्षेत्रों में आज भी पेयजल की स्थिति बदतर है। लोगों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ रहा है।

देपालपुर तहसील के लोगों ने पानी की इस गंभीर स्थिति को भांपा है और इसके चलते उन्होंने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। प्रदेश के दूसरे नंबर के सबसे बड़े तालाब बनेडिय़ा को भरने वाली देवपाल नदी को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए इस नदी के किनारे बसे ग्रामों के रहवासियों ने कमर कसी है।

ये लोग इस नदी के उद्गम स्थल पहुंचे और यहां से पूरी नदी की स्थिति को जाना। इसके बाद इस नदी के किनारे बसे ग्रामों में लोगों ने इसकी खुदाई के साथ साफ-सफाई की। आगे भी इसे गहरा करने और इसके किनारों पर सघन पौधरोपण कर इसे प्रवाहमान बनाने का मन बना लिया है।

इसके लिए जल संसद का आयोजन किया गया। इसमें हर ग्राम से दो-दो लोगों को नदी प्रहरी बनाया गया है। ये प्रहरी नदी की भौगोलिक स्थिति जानेंगे और इसके कैचमेंट एरिया में रुक रहे पानी को नदी में पहुंचाने के लिए काम करेंगे। इस वर्ष कम वर्षा के कारण बनेडिय़ा तालाब में दिसंबर-जनवरी में ही पानी सूख गया था।

और इसके कारण देपालपुर, बनेडिय़ा और आसपास के अनेक ग्रामों में बोरवेल, कुएं आदि सूख गए और जल संकट की स्थिति पैदा हो गई। ग्रामीणों का सोचना है कि यदि नदी के कैचमेंट एरिया में ऐसी जल संरचनाएं बना दी जाएं जिससे कि पानी नदी में आता रहे और ये बारहों मास प्रवाहवान बनी रह सकती है।

इससे तालाब लबालब रहेगा और क्षेत्र में कभी जल संकट की स्थिति नहीं बनेगी। तालाब से पानी छोडऩे पर नदी के गंभीर नदी में मिलने तक बीसियों गांवों में पानी मिलेगा और कुएं और बोरवेल जीवित रहेंगे। इन ग्रामीणों की सोच बड़ी है। इसके परिणाम भी बेहतर होंगे। इन लोगों का अनुसरण अन्य तहसीलों व ग्रामों के लोगों को भी करना चाहिए।

अपने-अपने क्षेत्र के नदी-नालों के साथ तालाबों को गहरा कर नई जल संरचनाएं तैयार करना चाहिए। छोटे-छोटे नदी-नालों पर बंधान बांधना चाहिए ताकि उनमें पानी भरा रहे और नदी-नालों के साथ तालाब लबालब रहे। पानी है तो जीवन है, उन्नति है, प्रगति है।