सामान समेटकर मायके लौट गई ठाकुर ने बताया, मूल रूप से पति-पत्नी ग्वालियर के पास के गांव में रहते थे। ४ मार्च २०१७ को दोनों परिवारों की सहमति से ग्वालियर में धूमधाम से विवाह हुआ। शादी के समय युवती इंदौर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रही थी। युवक भी इंदौर में डॉक्टर था। महिला और उसके परिजन ने शारीरिक विकृति (नपुसंकता) छिपाकर शादी की। शादी के चार दिन बाद पति को पता चला की महिला वैवाहिक रिश्ता नहीं बना सकती। शादी के कुछ दिन बाद महिला दहेज का सामान समेटकर मायके चली गई। शादी में खर्च हुई लाखों रुपए की राशि भी उनके परिजनों ने पति को नहीं लौटाई।
मेडिकल बोर्ड ने खोली पोल कोर्ट की सुनवाई के दौरान भी युवती और उसके परिजन ने शारीरिक विकृति की बात नहीं मानी, उल्टा पति पर गंभीर आरोप लगाए। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया। करीब डेढ़ साल की आनाकानी के बाद कोर्ट ने सख्ती से महिला की जांच कराई और उनके झूठ की पोल खुली। शादी के पहले परिजन ने दो बड़ी सर्जरी भी कराई, जिसकी जानकारी भी नहीं दी गई।