
बावनगजा जैन तीर्थ पर महिलाएं नहीं कर सकेंगी अभिषेक, हाईकोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार,जनहित याचिका खारिज
इंदौर. बड़वानी जिले के बावनगजा जैन तीर्थ के भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पर महिलाएं महामस्तकाभिषेक नहीं कर सकेंगी। यह अभिषेक हर 12 साल पर होता है। इंदौर हाईकोर्ट ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने आदेश में लिखा है, अभिषेक को लेकर 13पंथी और 20पंथी व्यवस्था में मतभिन्नता है। इसमें हाई कोर्ट का हस्तक्षेप करना उचित नहींं है। इससे पहले 3 अक्टूबर को सुनवाई के बाद जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था। याचिका में समाज के 13पंथी और 20पंथी व्यवस्था को लेकर तर्क रखे गए थे। फरवरी 2019 में तीर्थ ट्रस्ट ने महिलाओं के अभिषेक पर रोक लगा दी थी। इसे लेकर आर्श मार्ग सेवा ट्रस्ट और नीलांजना जैन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट आशीष शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले को हम अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
आर्श मार्ग सेवा ट्रस्ट ने लगाई थी याचिका
एडवोकेट आशीष शर्मा के माध्यम से आर्श मार्ग सेवा ट्रस्ट और नीलांजना जैन ने यह याचिका दायर की। शर्मा ने कहा, हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने बताया, 3 फरवरी 2019 से पहले तक बावनगजा तीर्थ पर महिलाओं को प्रतिमा पर अभिषेक करने का अधिकार था, लेकिन उस समय ट्रस्ट ने इस पर रोक लगा दी। ट्रस्ट के फैसले पर समाज के कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट में तर्क रखे गए थे कि 12वीं शताब्दी के प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर महिलाओं द्वारा अभिषेक किया जाता रहा है, उस पर रोक लगाने का ट्रस्ट को अधिकार नहीं है। यह बिंदु भी उठाया गया कि अन्य सिद्धक्षेत्रों में स्त्री अभिषेक पर प्रतिबंध नहीं है तो सिर्फ बावनगजा में ऐसा क्यों किया जा रहा है।
13 पंथी व्यवस्था से जुड़ा है मंदिर : ट्रस्ट
बावनगजा के भगवान सिद्धक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट वीरकुमार जैन का तर्क था, तीर्थ स्थल दिगंबर जैन ट्रस्ट 13पंथी व्यवस्था के अनुसार संचालित होता है, जिसमें महिलाओं द्वारा अभिषेक करना प्रतिबंधित है। भगवान की प्रतिमा का पंचामृत नहीं, बल्कि शुद्ध जल से ही अभिषेक हो सकता है। 20पंथी व्यवस्था में महिलाएं अभिषक कर सकती हैं, इसलिए यहां महिलाओं को इजाजत नहीं दी जा सकती। जबकि याचिकाकर्ता के वकील आशीष शर्मा कहना था, बावनगजा स्थित प्रतिमा करीब 2000 वर्ष पुरानी है और तब से 20पंथी व्यवस्था ही लागू है। 400 साल पहले 13 पंथी व्यवस्था शुरू हुई। बावनगजा में 2008 में हुए महामस्तकाभिषेक में भी महिलाओं ने अभिषेक किया था, इसलिए इस बार भी इजाजत दी जाना चाहिए।
Published on:
02 Nov 2019 02:02 am
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