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शहर के इस अस्पताल में मात्र 10 रुपए में हो जाता है इलाज

शहर में कुछ ऐसे डॉक्टर हैं, जो हजारों लोगों के लिए भगवान का रूप ही हैं। वे कम से कम खर्च में मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

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इंदौर

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Amit Mandloi

Jul 01, 2018

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इंदौर. डॉक्टर्स हम सब की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। प्रोफेशन के साथ ही उनका व्यक्तित्व और व्यवहार भी मरीज को ठीक करने में महती भूमिका निभाता है। ये हमारी सेहत के ऐसे शुभचिंतक हैं, जो कड़वी दवा देकर, सुई चुभाकर और जरूरत पडऩे पर ऑपरेशन करके भी हमें स्वस्थ जिंदगी की नेमत देते हैं। यूं तो हर डॉक्टर ईश्वर के दूत होते हैं, लेकिन शहर में कुछ ऐसे डॉक्टर हैं, जो हजारों लोगों के लिए भगवान का रूप ही हैं। वे कम से कम खर्च में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। किसी की फीस 10 रुपए है तो कोई 40 रुपए में ही रोगियों का उपचार कर रहे हैं। इस दौर में ऐसी कल्पना भी मुश्किल है, लेकिन शहर के कई डॉक्टर इसे साकार कर रहे हैं।

रोज देखते हैं 250-300 मरीज, फीस सिर्फ 10 रुपए

डॉ. बीबी गुप्ता ने सही मायने में डॉक्टरी पेशे को सेवा का रूप दिया है। 40 साल से एमआइजी क्षेत्र में रोजाना सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक मरीज देखते हैं। रोजाना 250-300 मरीजों की ओपीडी है, लेकिन फीस सिर्फ 10 रुपए। कोई गरीब आ जाए तो फीस भी नहीं लेते। 1978 में एमबीबीएस और 1982 में एमडी मेडिसीन (गोल्ड मेडलिस्ट) हैं। आज के व्यावसायिक युग में भी मेडिकल प्रोफेशन की गरिमा बनाए रखी है। डॉ. गुप्ता ने बताया, मरीजों को दवाई से ज्यादा दिनचर्या में सुधार की जरूरत होती है। व्यायाम, खान-पान सहित अन्य गतिविधियों में साधारण बदलाव से ही सभी रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। 62 वर्षीय डॉ. गुप्ता कई बार बीमार होने के बावजूद क्लीनिक में बैठकर मरीजों को देखते हैं। उन्होंने बताया, दूसरों का दु:ख-दर्द कम होने पर वे थकान से मुक्त होकर आत्मसंतोष और ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

गरीब मरीजों से तो 30 रुपए तक की फीस भी नहीं लेते

डॉ. इरफान अली 1988 से खजराना के खिजराबाद में क्लीनिक चला रहे हैं। तब पांच रुपए फीस लेते थे, अब 30 रुपए लेते हैं। वैसे तो क्लीनिक खुलने का वक्त सुबह-शाम तय है पर डॉ. अली मरीजों के लिए 24 घंटे अवेलेबल रहते हैं। कोई आधी रात के बाद भी उनका दरवाजा खटखटाए, तब भी वे मरीज को देख लेते हैं। कई लोगों ने उनसे कहा, अब तो फीस बढ़ा दो, लेकिन उन्होंने नहीं बढ़ाई। उन्होंने बताया, जब एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पढक़र निकला तब अब्बा ने कहा था कि कभी किसी गरीब का दिल मत दुखाना और जहां तक हो सके उसकी मदद करना। उनकी बात पर अमल कर रहा हूं। यहां बैठकर पैसा नहीं दुआएं कमाता हूं। डॉ. अली कहते हैं कि जब क्वालीफाइड डॉक्टर भारी फीस लेते हैं तो गरीब के पास झोलाछाप डॉक्टर के पास जाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता। कम से मेरे पास आने वाले मरीज नकली डॉक्टरों से तो बच ही जाते हैं। डॉ. अली के क्लीनिक के सामने कपड़ों की दुकान चला रहे अकरम कहते हैं कि डॉक्टर साहब गरीब मरीजों से तो 30 रुपए भी नहीं लेते।

40 रुपए में मिक्स थैरेपी से दूर करते हैं बीमारी

मल्हारगंज में डॉक्टर वायके गोयल के क्लीनिक में इतनी भीड़ रहती है कि कई लोग तो सडक़ पर खड़े रहते हैं। डॉ. गोयल ने 1976 में बैचलर ऑफ आयुर्वेद विथ मॉर्डन मेडिसिन एंड सर्जरी की डिग्री ली थी। ये कोर्स 1985 में बंद कर दिया गया। डॉ. गोयल कई बरसों से केवल 40 रुपए फीस लेते हैं, जिसमें वे दवाइयां भी देते हैं। वे मिक्स थेरेपी से इलाज करते हैं यानी मरीज को देख कर आयुर्वेदिक या एलोपैथिक दवाई देते हैं पर 40 रुपए में यह सब शामिल होता है। इतने कम पैसों में इलाज के बारे में वे कहते हैं कि वे एक संपन्न बिजनेस फैमिली से हैं और अगर पैसा कमाना ही उद्देश्य होता तो मैं बिजनेस ही करता पर लोगों की सेवा करना चाहता हूं, इसलिए डॉक्टर बना हूं। वे कहते हैं कि जब कोई मरीज ठीक हो जाता है तो उसकी खुशी ही मेरा संतोष और मन की शांति बन जाती है। जो शांति मरीजों को ठीक करने से मिलती है, वह कहीं नहीं मिल सकती। कई बार लोगों ने कहा कि इतनी भीड़ आती है, अब तो फीस बढ़ा दो लेकिन फीस कमाना कभी लक्ष्य रहा ही नहीं, मरीज को ठीक करना ही लक्ष्य है।

डॉक्टर्स बोले- दिल पर मत ले यार

डॉक्टर्स डे पर शहर के डॉक्टर्स अलग तरीके से सेलिब्रेट करेंगे। डॉक्टर्स की संगीत संस्था स्वर स्पंदन डॉक्टर्स कल्चरल ग्रुप दिल की बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु संगीत कार्यक्रम करेंगी। इसकी रिहर्सल शनिवार को हुई। इसमें दिल से संबंधित गीतों की सीरीज तैयार की गई। डॉ. राजेंद्र चौबे, डॉ. मनोज भटनागर, डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. संजय लोंढे, डॉ. प्रमोद नीमा, डॉ. चेतन महर्षि, डॉ. हेमंत मंडोवरा सहित अन्य डॉक्टर्स परफॉर्म करेंगे।