21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ये है दही जमाने वाली मशीन, दूध रखकर सेट कर दो तापमान, चुटकियों में बन जाएगा ‘दही’

- आइआइटी इंदौर में दो दिवसीय रूरल इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव का आयोजन

3 min read
Google source verification
new_project.jpg

curd maker

इंदौर। आइआइटी इंदौर में दो दिवसीय रूरल इंवेस्टर्स कॉन्क्लेव आयोजित की गई। इसमें ग्रामीण इनोवेटर्स और उद्यमियों को अपने इनोवेशन दिखाने और ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने के लिए आइडिया शेयर करने का मंच दिया गया। आइआइटी इंदौर के ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा आयोजित कॉन्क्लेव में 14 से ज्यादा इनोवेटर्स ने इनोवेशन प्रदर्शित किए।

स्मार्ट कर्ड मेकर

दही जमाने में समय कम करने के लिए एनजीओ निमाड़ अभ्युदय रूरल डेवल्पमेंट एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन (नर्मादा) के युवाओं ने स्मार्ट कर्ड मेकर बनाया है। संजय सुरागे बताते हैं कि बारिश और ठंड में दही जमाने में समय लगता है। इसके लिए यह स्मार्ट मेकर बनाया है। इसमें आइस बॉक्स का इस्तेमाल किया है, ताकि अंदर तापमान मेंटेन रह सके। हीटर से पानी गर्म कर 45 डिग्री का टेम्प्रेचर क्रिएट किया जाता है और बर्तन में दूध रखकर बंद कर देते हैं। इसमें लगा सेंसर 45 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर हीटर को बंद कर देता है। 40 डिग्री से कम होने पर हीटर चालू कर देता है। बाहर लगे डिवाइस से तापमान सेट कर सकते हैं। इसमें 15 लीटर दही बन सकता है।

किसान कर सकेंगे मिट्टी की जांच

आइआइटी के सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने ऐसा डिवाइस बनाया है, जिससे किसान मिट्टी की जांच खुद कर सकेंगे। अभी फसलों की बुआई से पहले लैब में मिट्टी की टेस्टिंग करवाते हैं। यह ‘भू-संवर्धन’ डिवाइस मिट्टी में मौजूद तत्वों के बारे में बताता है। इसमें 20 से 25 सेकंड लगते हैं। फसल का नाम डालकर यह भी पता कर सकते हैं कि उसके लिए मिट्टी को किन तत्वों की जरूरत है। इसके अलावा पौधों को हो रही बीमारी का पता लगाने के लिए एआइ का इस्तेमाल किया है। ऐप में फोटो डालते ही बीमारी और उसके इलाज की जानकारी लग जाती है।

बच्चों को बेसिक टूल्स सिखाने बनाया रथ

छोटे-छोटे गांवों के बच्चे को बेसिक हैंड टूल का इस्तेमाल सिखाने के लिए लेपा गांव के एनजीओ निमाड़ अभ्युदय रूरल डेवल्पमेंट एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन (नर्मादा) ने गाड़ी में सेटअप तैयार किया है। इसे ‘नर्मदा कौशल्य रथ’ नाम दिया है। यह रथ ऐसे गांवों में बच्चों को ट्रेनिंग देता है, जहां कोई सुविधा नहीं है। इसका उद्देश्य बेसिक टूल्स का इस्तेमाल सिखाने के साथ रोजगार के अवसर बताना है। ट्रेनर शंकर केवट बताते हैं कि 40 लाख से रथ को तैयार किया है।

इसमें फिलहाल वेल्डिंग, कारपेंटरी, प्लबिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन और कंस्ट्रक्शन का सेटअप बनाया गया है। ट्रेनिंग को दो कैटेगरी में बांटा गया है। पहली कैटेगरी में कक्षा छठीं से आठवीं, दूसरी कैटेगरी में कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्र होते हैं। अब तक 900 बच्चे ट्रेनिंग ले चुके हैं। जब रथ जाता है तो लड़कियां सबसे ज्यादा इंटरेस्ट लेती हैं।

गोबर से तैयार की कांक्रीट और ईंट

पुराने जमाने में घर मौसम के अनुकूल थे क्योंकि उनकी छत कवेलू और दीवारें गोबर से लीपी जाती थी। अब कांक्रीट व ईंटों ने इसकी जगह ले ली है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। आइआइटी इंदौर के छात्र संचित गुप्ता ने प्रो. संदीप चौधरी के गाइडेंस में गोबर से कांक्रीट बनाने में पीएचडी की है। वह 6 महीने से गोबर से ईंट बना रहे हैं। मार्च तक रिसर्च पूरी हो जाएगी। इसके बाद बाजार में उतारा जाएगा। इससे घर का तापमान मौसम के हिसाब से रहेगा। इसमें नीम और लेमन ग्रास का उपयोग किया है। कीमत भी कम होगी और वजन में हल्की रहेगी।

मौसम की मार से बचेगी फसलें

इन दिनों क्लाइमेट चेंज के कारण कई फसलें खराब हो जाती हैं। इसके लिए पुणे की प्राइवेट कंपनी ने एग्रीकल्चर संजीवनी पद्धति से वैद उपनिदेशक और प्राण शक्ति के आधार पर स्प्रे तैयार किए हैं, जो विपरित परिस्थितियों में पौधों को जीवित रखेगी। कॉन्क्लेव में कंपनी की रिसर्च डायरेक्टर डॉ. हेमांगी जाम्भेकर ने बताया कि 35 साल से संजीवनी पद्धति से एग्रीकल्चर पर काम कर रहे हैं। इस पद्धति से पौधों का न्यूट्रीशन बढ़ाया जाता है।

आइआइटी इंदौर ग्रामीण भारत की सामने आने वाली समस्या की पहचान करने के लिए आसपास के संस्थानों और संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। हम कई ऐप विकसित करने के अंतिम चरण में हैं, जो किसानों की मदद करेंगे।
प्रो. सुहास जोशी, निदेशक