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जानिए आखिर एक कंपनी के बंद होने से आम लोगों के जीवन पर कैसे पड़ता है असर

locationनई दिल्लीPublished: Apr 29, 2019 07:34:47 am

Submitted by:

Ashutosh Verma

कर्मचारियों से लेकर एक उस इंडस्ट्री की अन्य सहायक कंपनियों पर पड़ता है असर।
जेट एयरवेज के बंद होने से कार्गो एक्सपोर्ट तक पर पड़ा है भारी असर।
आम आदमी के बैंक खाते पर भी अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है असर।

 

America in Shutdown

जानिए आखिर एक कंपनी के बंद होने से आम लोगों के जीवन पर कैसे पड़ता है असर

नई दिल्ली। दुनियाभर के अनेकों कंपनियां हम सभी के जीवन में किसी ने किसी रूप में मौजूद रहती हैं। खासतौर से, वैश्विकरण के बाद तो भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की एक बाढ़ सी देखने को मिली। हर कंपनी अपने उत्पाद और सेवाओं को हमें बेचना चाहती हैं। ये कंपनियां किसी न किसी रूप से हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी हैं। हाल ही में पेप्सिको ने गुजरात के 9 किसानों पर करोड़ों रुपए का केस कर दिया। प्राइवेट सेक्टर की विमान कंपनी जेट एयरवेज को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा। जेट एयरवेज की मौजूदा हालात से ही जोड़कर हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि आखिर एक कंपनी के बंद होने से आम लोगों पर किस रूप से प्रभाव पड़ता है।


कर्मचारियों के लिए होती है मुसीबत

किसी भी कंपनी के बंद होने पर सबसे पहला असर उस कंपनी के कर्मचारियों पर पड़ता है। जेट एयरवेज के करीब 22 हजार से अधिक कर्मचारियों की मौजूदा हालात खराब हैं। उन्हें महीनों से सैलरी नहीं मिली है, नौकरी नहीं मिल रही है। स्पाइसजेट में नौकरी के लिए इंटरव्यू देते समय तो यह भी सामने आया कि स्पाइसजेट के कुछ अधिकारियों ने जेट एयरवेज के इन कर्मचारियों से यहां तक कह दिया कि हम आपको नौकरी देकर एहसान कर रहे हैं। हालांकि, आनन-फानन में स्पाइसजेट ने इस बात का खंडन कर दिया। कुल मिलाकर जेट एयरवेज के इस संकट के बाद सबसे बड़ा और प्राथमिक असर कंपनी के कर्मचारियों पर पड़ा है। इसे लेकर अभी भी कुछ सवाल है कि क्या देश की एविएशन इंडस्ट्री इतनी सक्षम है कि इन सभी कर्मचारियों को नौकरी दे सके? आखिर कब तक इन कर्मचारियों को उनकी सैलरी मिलेगी? मिलेगी भी या नहीं?

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आपके सेविंग्स पर भी पड़ता है असर

एक और बड़ा असर आपके सेविंग्स पर भी दिख सकता है। जेट एयरवेज पर 8,500 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसे उसने बैंकों से लिया है। कंपनी में संभावित निवेशक कुल कर्ज पर 80 फीसदी तक हेयरकट की मांग कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि यदि बैंकों को कोई खरीदार मिलता भी है तो भी इन्हें बड़ा नुकसान होगा। बैंकों के लिए सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कहां से वे इसे रिकवर करेंगे। इसका सीधा जवाब है कि आम लोगों पर अप्रत्यक्ष रूप से यह रकम वसूला जाएगा। जेट एयरवेज में एडवांस में टिकट बुक कराने वाले यात्रियों के टिकट भी कैंसिल कर दिए गए हैं। अब उन्हें एक लंबे समय तक अपने रिफंड का भी इंतजार करना होगा।


इंडस्ट्री से संबंधित दूसरी कंपनियों पर पड़ता है बुरा असर

किसी कंपनी के बंद होने से उस इंडस्ट्री से जुड़े कई अन्य बिजनेस भी प्रभावित होते हैं। जेट एयरवेज के केस में देखें तो इसके बंद होने से वेंडर्स, फ्लाइट के दौरान केटरिंग की सुविधा देने वाली कंपनी, होटल्स तक को नुकसान हो रहा है। इस विमान कंपनी पर पहले ही अन्य कंपनियों के प्रति 3,500 करोड़ रुपए की देनदारी है। जेट एयरवेज से मुंबई और लंदन, एम्स्टरडैम, पेरिस व सिंगापुर जाने वाले 50 फीसदी तक कार्गो एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है। हर रोज मुंबई से लंदन के लिए 50 टन सब्जियों को भेजा जाता था। इस रूट पर जेट प्रतिदिन 3 विमानों को उड़ाता था। कंपनी के बंद होने से फ्रेट रेट में भी इजाफा हुआ है। पहले जहां एक किलोग्राम सामान के लिए 75-80 रुपए फ्रेट रेट था, वो अब बढ़कर 100 रुपए तक हो गया है। खास बात है कि इसके बावजूद भी खपत और निर्यात पर असर पड़ा है।

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कंपनी के निवेशकों को भी नुकसान

गत 17 अप्रैल को बंद होने के बाद जेट एयरवेज के शेयर्स में भारी गिरावट देखने को मिला है। हालांकि, बीते कुछ दिनों मे इनमें हल्की रिकवरी भी रही जोकि कुल गिरावट के मुकाबले पर्याप्त नहीं है। एक और दिलचस्प बात है कि दूसरी विमान कंपनियों के शेयरों में तेज उछाल देखने को मिल रहा है। इंडिगो और स्पाइसजेट के स्टॉक्स तो पूरी दुनिया की विमान कंपनियों के स्टॉक्स की तुलना में सबसे महंगे हो गए हैं। ऐसे में जेट एयरवेज में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए भी यह घाटे का सौदा रहा है। अगर आपने भी किसी म्यूचुअल फंड में निवेश किया है तो आपको भी इस नुकसान के लिए तैयार रहना होगा।


दिवालिया होने का खतरा

जेट एयरवेज की एक सर्विस प्रोवाइडर ने तो कंपनी पर दिवालिया प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करने तक की बात कही है। इस कंपनी ने साफ-साफ कह दिया है कि यदि जेट एयरवेज समय रहते बकाया पूरा नहीं करती तो उसे दिवालिया कानून का सामना करना पड़ सकता है। इस कंपनी पर कुल 25 लाख रुपए का डिफॉल्ट है। इसके बाद अब उन बैंकों पर दबाव बना है जो जेट एयरवेज के लिए संभावित खरीदार की तलाश में हैं।

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अन्य संकटों के भी संकेत

जेट एयरवेज की इस क्रैश लैंडिंग के कुछ दिनों बाद ही सरकारी क्षेत्र की विमान कंपनी एअर इंडिया के तरफ भी सभी की निगाहें हैं। रिपोर्टस के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में एअर इंडिया को 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है, लेकिन कंपनी के पास अभी तक कोई प्लान नहीं है। इस महाराजा एयरलाइंस के लिए अंतिम उम्मीद सरकारी की तरफ से राहत पैकेज ही दिखाई देती है। हालांकि, चुनावी मौसम को देखते हुए इसमें भी देरी हो सकती है।

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