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अब बिजनेस के लिए आसानी से मिलेगा लोन, सरकार देगी गारंटी

केंद्र सरकार ने छोटे उद्योगों में पूंजी प्रवाह बढ़ाने के लिए कुछ नए और ठोस निर्णय लिए हैं।

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार छोटे उद्योगों में पूंजी का प्रवाह बढ़ाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी देने की योजना बना रही है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योग सचिव ए के पांडा के अनुसार केंद्र सरकार ने छोटे उद्योगों में पूंजी प्रवाह बढ़ाने के लिए कुछ नए और ठोस निर्णय लिए हैं। पिछले तीन वर्ष से प्रत्येक वर्ष छोटे उद्योगों को पूंजी उपलब्ध कराने के लिए 19 हजार करोड़ रुपए से लेकर 20 हजार करोड़ रुपए तक की क्रेडिट गारंटी दी जा रही थी। इस वर्ष इसे 40 हजार करोड़ रुपए से लेकर 50 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि गैर बैकिंग वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण को भी क्रेडिट गारंटी योजना में शामिल किया गया है।

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इस साल 70 हजार नई ईकाई स्थापित करने का लक्ष्य

उन्होंने बताया कि सरकार ने छोटे उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए कुछ ढ़ांचागत सुधार किए हैं जिनसे इस वर्ष लगभग चार लाख से ज्यादा ऋण प्रस्ताव आने की संभावना है। इसके अलावा छोटे उद्योगों के लिए पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी बैंकों और गैर बैकिंग वित्तीय संस्थानों के साथ विचार विमर्श कर रही है। इस वर्ष तकरीबन 70 हजार नई कारोबारी इकाइयां स्थापित करने की योजना बनाई गई है जिनसे लगभग पांच लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। पांडा ने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर नेटवर्क में एक करोड़ से अधिक औद्योगिक इकाइयों को जोड़ा गया है। इनमें से 95 फीसदी तक छोटे उद्योग हैं। उन्होंने कहा कि इन उद्योगों को सरकार की ओर से दी जा रही सहुलियतों और रियायतों की जानकारी दी जानी चाहिए।

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बड़े उद्योगों की मजबूती के लिए छोटे उद्योग जरूरी

उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों को अपेक्षा के अनुरूप पूंजी उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ चर्चा चल रही है। इससे छोटे उद्योगों की समस्याओं को दूर किया जा सकेगा और बैंक तक उनकी आसान पहुंच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों की निर्यात की समस्याओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने के लिए सरकार एक विशेष कार्यबल का गठन करेगी। यह कार्यबल छोटे उद्योगों के उत्पादों को वैश्विक आपूर्ति श्रंखला का हिस्सा बनने के तौर तरीके भी सुझाएगा। पांडा ने कहा कि छोटे उद्योगों का मजबूत होना बड़े उद्योगों के हित में होगा और वे अपनी लागत घटा सकेंगे। उन्होंने कहा कि बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों, लघु वित्त संस्थानों, वित्त संबंधी प्रौद्योगिकी कंपनियों, अंतर्राष्ट्रीय वित्त संस्थाओं और अन्य संगठनों को छोटे उद्योगों की मदद करनी चाहिए। इससे समग्र विकास संभव होगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।