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नेत्रहीन बहनों ने जूडो में जीतकर बताया नहीं है कुछ भी असंभव

आंखों से दिव्यांग बहनों ने जीता पदक गौरखपुर उत्तरप्रदेश में नेशनल ब्लाइंड जूडो में जीते पदक जन्म से नेत्रहीन हैं तीनों बहनें

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Blind Sisters, Gaurakhpur UP, Judo Blind Competition, Sarita, Pooja, Jyoti, Panjra, Itarsi

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इटारसी. जूडो में जीतकर आई आंखों से दिव्यांग बहनों ने दिखा दिया कि हिम्मत के आगे सब हार जाते हैं। पांजरा के एक मजदूर की नेत्रहीन तीन पुत्रियां हैं। इन तीनों ने ऐसे खेल को चुना है जिसमें ताकत, फुर्ती और दिमाग तीनों का भरपूर इस्तेमाल होता है। जूडो एक सामान्य इंसान भी कठिन होता है। इस कला को इन नेत्रहीन बेटियों ने एक साल में सीख लिया। प्रतियोगिता में तीन बहनों में से दो ने पदक जीता है।
पांजरा गांव मजदूर लखनलाल चौरे की पांच संतान में तीन बेटियां हैं। इसमें ज्योति, पूजा एवं सरिता जन्म से ही नेत्रहीन हैं। जबकि एक बेटी और एक बेटा सामान्य हैं।

तीनों ने सरकारी स्कूल में 7 वीं पास करने के बाद इंदौर के विशेष विद्यालय से बीए तक की पढ़ाई की है। एक साल पहले सोहागपुर के दलित संघ एवं साइड सिवर संस्था ने इन तीनों को बहनों को जूडो का प्रशिक्षण दिलाया।
सरिता चौरे ने जूनियर वर्ग में सिल्वर, सीनियर में पूजा ने ब्रांज मेडल जीता है। सबसे बड़ी बहन ज्योति ने मेडल तो नहीं जीता लेकिन उसने पहले तीन राउंड के एक मुकाबले में इंटरनेशनल प्लेयर जानकी को हराया है।

आर्थिक स्थिति है कमजोर
परिवार की माली हालत खराब है। दिव्यांग होने के बाद इन बेटियों को सरकार का कोई सहयोग नहीं मिला। अब वे दिव्यांग कोटे में सरकारी नौकरी में जाना चाहती हैं। इसके अलावा जूडो में वह इंटरनेशनल स्तर पर अपना नाम करना चाहती हैं।