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कवि सम्मेलन : कहां ये रूहे मोहब्बत जनाब देखेगी… श्रोताओं की खूब मिली सराहना

कवियों ने पढ़ी कविताएं, खूब मिली श्रोताओं की सराहना  

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कवि सम्मेलन : कहां ये रूहे मोहब्बत जनाब देखेगी... श्रोताओं की खूब मिली सराहना

कवि सम्मेलन : कहां ये रूहे मोहब्बत जनाब देखेगी... श्रोताओं की खूब मिली सराहना

इटारसी.

समीपस्थ ग्राम मेहरागांव में राम जन्म भूमि से आये अक्षत कलश के सम्मान में आध्यात्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। ग्राम पंचायत मेहरागांव द्वारा ग्रामवासियों के सहयोग से पंचायत भवन के समक्ष आयोजित कवि सम्मेलन में देर रात तक रामलला के सम्मान में पढ़ी गई आध्यात्मिक कविताओं का आनंद श्रोताओं ने लिया। कवियों अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मनाये जाने बाले नव वर्ष की रीति नीति पर कटाक्ष करते हुये गुड़ी पड़वा को सनातन रीति-रिवाज से मनाने पर जोर दिया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता काव्यधारा मंच के संस्थापक पंडित दीपेश शास्त्री ने की। मुख्य अतिथि ब्रजकिशोर पटेल पूर्व जिला शिक्षाधिकारी ने अपने कविता पाठ में सुनाई इन पंक्तियों पर खूब वाह-वाह लूटी "जन्म भूमि में रामलला के दर्शन हम पायेंगे। रामलला अब लौट के वापिस घर अपने आयेंगे। मंदिर बना है आलीशान। आगे क्या होगा भगवान।" कवि सम्मेलन का संचालन करते हुये एक से बढकऱ एक आध्यात्मिक मुक्तक सुनाये। काव्यधारा का शुभारंभ सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रमिला किरण की सरस्वती वंदना से हुआ। अपने क्रम पर प्रमिला किरण की इन पंक्तियों को खूब सराहना मिली। "हवस का नाम मुहब्बत रखा है दुनिया ने, कहां ये रूहे मोहब्बत जनाब देखेगी।" गजलकार मदन तन्हाई बडक़ुर की गजलों ने भी खूब शमां बांधा। सम्मेलन में दौलतसिंह ठाकुर बगलबाड़ा (रायसेन), पायल पटेल (भोपाल), लालसिंह ठाकुर (दिमाड़ा), खुमानसिंह ठाकुर सोहागपुर (माछा), अशोक कुमार यादव (नर्मदापुरम), विश्वनाथ कुशवाहा (भीलाखेड़ी) के बाद पंडित दीपेश शास्त्री और शीतल चौधरी की आध्यात्मिक कविताओं ने भी खूब शमां बांधा।