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गीतमय प्रयोगों के साथ किया पंच परमेश्वर नाटक का मंचन

- भवानी प्रसाद मिश्र सभागार में नाटक का मंचन करते कलाकार।

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गीतमय प्रयोगों के साथ किया पंच परमेश्वर नाटक का मंचन

गीतमय प्रयोगों के साथ किया पंच परमेश्वर नाटक का मंचन

इटारसी. संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से कर्मवीर जन शिक्षण एवं संस्कृति समिति द्वारा नाटक पंच परमेश्वर का मंचन सोमवार की शाम प. भवानी प्रसाद मिश्र सभागार, इटारसी में किया गया। पंच परमेश्वर मूल कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है। नाटक का मंचन देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

नाटक का लेखन, नाट्य रूपांतरण, प्रकाश परिकल्पना एवं निर्देशन कर्मवीर सिंह राजपूत ने किया है। नाटक देखने बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे। सभी ने पात्रों के अभिनय और लेखन को जमकर सराहा। निर्देशक राजपूत ने बताया कि पंच परमेश्वर कहानी का नाट्य रूपांतरण अब तक किये गए प्रयोगों में सबसे अलग है। पंच परमेश्वर एक आदर्श को जीती-जागती हुई कहानी है। नाटक में नवीन प्रयोगों के अंतर्गत नए गीतों का भी प्रयोग किया है।

नाटक में बूढी खाला (जुम्मन की मौसी), अंजना राय, जुम्मन शेख, कुलदीप रघुवंशी, अलगू चौधरी, लोकेश पवार, समझू साहू, क्रिश शर्मा, रौशनी कुशवाहा, चेला-शिव रघुवंशी, बैल की भूमिका में रौनक पाटकर, अन्य ग्रामीण में बलवीर सिंह, हिमांशु शाक्य ने बेहतर अभिनय किया है। वही वाद्य यन्त्र पर लक्ष्मीनारायण ओसले एवं संगीत निर्देशन माधव सिंह का रहा। मंच परिकल्पना कुंदन सारंग, मंच निर्माण एवं सहयोग प्रियंक नागर, प्रबंधन समन्वयन नीरज सिंह चौहान, उद्घोषक कवि ब्रजकिशोर पटेल एवं राजकुमार दुबे रहे।

बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोंगे...

पंच परमेश्वर कहानी का नाट्य रूपांतरण अब तक किये गए प्रयोगों में सबसे अलग है। इसका अमर वाक्य, ‘क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे’ आज भी हमारी न्याय-बुद्धि की कसौटी बना हुआ है। यह कहानी हमें अपने भीतर झांकने के लिए भी प्रेरित करती है। नाटक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया। नाटक ग्रामीण परिवेश में तैयार किया गया। नाटक के माध्यम से तत्कालीन ग्रामीण न्याय पद्धति पर प्रकाश डालते हुए यही कहना चाहते हैं कि पंच परमेश्वर के समान होते हैं।