
Ram Lakhan Sita left the forest after handing over the kingdom to Bharat
भरत को राज्य सौंपकर राम लखन सीता ने किया वन प्रस्थान
श्री राम जन्म महोत्सव समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा का पांचवा दिन
इटारसी. श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में श्री राम जन्मोत्सव समिति द्वारा श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन का यह 61वां वर्ष है। श्री रामकथा महोत्सव के पांचवे दिन शनिवार को साध्वी नीलम गायत्री ने कहा कि आज का युग जिसे कलयुग कहा जाता है, स्वार्थ से भरा हुआ है। व्यक्ति एक दूसरे को नीचा दिखाने में अपने को बड़ा समझता है।
भाई,भाई का नहीं होता पिता, पुत्र का नहीं होता और पुत्र भी पिता का नहीं होता। परंतु अयोध्या के राज्य में दशरथ नंदन प्रभु श्री राम जिन्होंने मनुष्य स्वरूप में अवतार लिया, अपना जीवन भी मनुष्य के समान ही व्यतीत किया। आचार्य ने कहा कि एक युवा जिसे दूसरे दिन प्रात: काल युवराज बनना है। उसने पिता की आज्ञा मानकर वन में जाना स्वीकार किया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन वन में भरत आए, उन्होंने राजपाट राम जी को देने की बात की, रामजी ने मना कर दिया और कहा कि तुम ही अयोध्या का राज करो।पिता का आदेश मेरे वन गमन के लिए है। कथाव्यास ने कहा कि वन गमन के दौरान प्रभु श्री राम ने कई कष्ट झेले, परंतु किंचित मात्र भी उन्होंने अपने पिता को दोष नहीं दिया। आचार्य कहते हैं कि सीता हरण के पश्चात प्रभु श्री राम व्याकुल हुए परंतु हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि प्रभु श्रीराम का लक्ष्य असुरी शक्तियों का वध करना था। इसीलिए उनका जन्म हुआ था।
Published on:
14 Apr 2024 11:19 am
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