
381 schools in the dark in electricity capital of state
जबलपुर. बिजली की राजधानी का दर्जा प्राप्त जबलपुर में भरपूर बिजली उपलब्ध होने के बावजूद जिले के 381 स्कूलों में अब तक 'उजालाÓ नहीं पहुंच सका है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की इस लापरवाही का खामियाजा नए शिक्षण सत्र में भी इन स्कूलोंं के छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा। मानसून सीजन शुरू होने को है। बारिश के दौरान रोशनी भी कम हो जाती है। ऐसे में स्कूल के कमरों में पर्याप्त रोशनी नहीं पहुंचती। स्कूलों में बिजली नहीं होने से कमरों में अंधेरा हो जाता है। इससे ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ स्पष्ट नजर नहीं आता। किताबों को पढऩे के लिए भी आंखों पर ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
मतदान केंद्र वाले स्कूलों में पहुंची बिजली
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान जिन शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को मदतान केंद्र बनाया गया था, उनमें बिजली कनेक्शन कराया गया है। लेकिन, जिन स्कूलों में मतदान केंद्र नहीं थे, वहां बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रयास नहीं किए गए। शिक्षा विभाग का ध्यान भी इस ओर नहीं है।
बजट की कमी का बहाना
बिजली विहीन स्कूलों के शिक्षकों के अनुसार बिजली कनेक्शन के लिए शासन से पर्याप्त बजट नहीं मिलता। प्राथमिक स्कूलों को सात हजार और मिडिल स्कूलों को 10 हजार रुपए देने का प्रावधान है। यह राशि भी लम्बे समय से नहीं मिली। शिक्षा विभाग भी बजट का प्रबंध नहीं करा रहा है।
लोकसभा चुनाव के दौरान अधिकांश स्कूलों में बिजली कनेक्शन कराए गए हैं। शेष स्कूलों में बिजली पहुंचाने के लिए शासन से आवंटन मांगा गया है।
ओपी सिंह, सहायक यंत्री, जिला शिक्षा केंद्र
Published on:
14 Jun 2019 11:11 am
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