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जबलपुर। जीआईएफ (ग्रे आयरन फाउंड्री) में पदस्थ लेखाधिकारी विकास तिवारी (35) बुधवार को अपने किराए के मकान में संदिग्ध हालत में बेहोशी की हालत में मिले। उन्हें दरवाजा तोडकऱ बाहर निकाला गया। पहले खमरिया अस्पताल और वहां से रेफर करने पर भंवरताल के पास एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत काफी नाजुक बतायी जा रही है। उधर, दिल्ली में रहने वाले उनके परिवार के लोगों ने आरोप लगाते हुए बड़ा दावा किया है। उनका कहना कि विकास ने ऑडिट में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी थी। इसे लेकर उन पर कुछ लोग दबाव बना रहे थे। रांझी पुलिस ने मामला जांच में लिया है।
जानकारी के अनुसार लेखाधिकारी विकास तिवारी ऑडिट का काम कर रहे थे। डेढ़ महीने पहले ही वह उनकी यहां पदस्थापना हुई है। वह चम्पा नगर में अनिल कुमार मिश्रा के मकान में किराए से रह रहे थे। सुबह नौ बजे उनकी नौकरानी खाना बनाने के लिए पहुंची तो दरवाजा नहीं खुला। उसने मकान मालिक को इसके बारे में बताया, लेकिन तब किसी ने ध्यान नहीं दिया। नौकरानी इसके बाद चली गई। शाम तक दरवाजा नहीं खुला तो मकान मालिक को संदेह हुआ। इसके बाद दरवाजा तोड़ा गया। वह कमरे में बेहोशी की हालत में मिले। वहां से तुरंत खमरिया अस्पताल और फिर रेफर करने पर निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मूलत: यूपी सुल्तानपुर लम्भुआ के रहने वाले विकास तिवारी के परिवार के लोग दिल्ली में रहते हैं। कुछ रिश्तेदार लखनऊ में हैं। परिवार के लोग जबलपुर के लिए निकल चुके हैं। परिवार के लोगों का दावा है कि ऑडिट में उन्होंने कुछ गड़बड़ी पकड़ी थी। इसे दबाने के लिए कुछ लोग दबाव डाल रहे थे।
वर्जन-
निजी अस्पताल से सस्पेक्टेड प्वाइजन का केस बताते हुए जीआईएफ के लेखाधिकारी को भर्ती कराए जाने की सूचना आई थी। एएसआई नरेश मरावी अस्पताल बयान लेने पहुंचे थे, लेकिन वहां चिकित्सक ने उनकी हालत गम्भीर बताया और कहा कि अभी वे बयान देने की स्थिति में नहीं हैं।
आरके मालवीय, टीआई रांझी
Published on:
21 Aug 2020 08:30 am
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