
अदालत का फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)
जबलपुर. दुष्कर्म के सह आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश की पाक्सो अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने कहा है कि ऐसे मामले समाज के दापन पर धब्बा हैं। ऐसे आरोपी को खुला नहीं छोड़ा जा सकता। इन आरोपियों की जमानत अर्जी स्वीकार नहीं की जा सकती।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी स्मृतिलता बरकड़े ने जमानत आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि 17 फरवरी की दोपहर 2 बजे भूरा के घर पर सह आरोपित आवेदक दुर्गेश ने पीड़ित को बुलवाया। इसके बाद अभियुक्त विवेक ने दुष्कर्म को किया। फिर दुर्गेश, दो अन्य लड़कियों के साथ मिलकर पीड़ित को बदनाम करने लगा।
उन्होंने कहा कि जब पीड़िता के माता-पिता तक यह बात पहुंची, तो उसने जहरीला इंजेक्शन पी लिया। इससे पीडि़त कीहालत खराब हो गई। उसे अस्पताल ले जाया गया। पीड़ित ने अपने बयान में विवेक द्वारा दुर्गेश के सहयोग से दुष्कर्म करने की बात कही है। उस बयान के आधार पर ही आवेदक को मामले में सह आरोपित बनाया गया। यह कृत्य अत्यंत घृणित है, अत: जमानत का लाभ देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं होगा। इससे समाज में गलत संदेश तो जाएगा ही,साथ ही आरोपी, पीड़ित के परिवार को प्रभावित भी कर सकते हैं। कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर आवेदन खारिज कर दिया।
Published on:
18 Nov 2020 02:28 pm
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