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कोरोना यूनिट से होकर दिव्यांग पहुंच रहे हैं केन्द्र

विक्टोरिया में रैम्प का अभाव, संक्रमण का खतरा, दिव्यांगों की साइकिल मरम्मत में खानापूर्ति

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Centers reaching Divyang via Corona unit,Centers reaching Divyang via Corona unit,Centers reaching Divyang via Corona unit

जबलपुर । हाथ से छूकर, टटोल कर अपनी मंजिल तक पहुंचने वाले दिव्यांगों के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं है। कोरोना संक्रमण में दिव्यांगों की देखरेख और उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए बनाए गए पुर्नवास केन्द्र में व्यवस्थाओं को टोटा है, जिससे दिव्यांगों के बीच संक्रमण का खतरा बना हुआ है। विक्टोरिया अस्पताल में पुरानी ओपीडी में जिला दिव्यांग पुर्नवास केन्द्र तो बना दिया गया है, जहां रैम्प के अभाव में दिव्यांगों को अपनी साइकिल से कोरोना यूनिट से होकर आना-जाना पड़ रहा है, जिससे उनके संक्रमित होने की आशंका बनी हुई है।
सेठ गोविंद दास जिला चिकित्सालय (विक्टोरिया अस्पताल) के विकास के साथ ही गत वर्ष जिला दिव्यांग पुर्नवास केन्द्र को नई ओपीडी बनने के बाद पुरानी ओपीडी में शिफ्ट कर दिया गया है। पुरानी ओपीडी में केन्द्र के पहुंचने के बाद दिव्यांगों की साइकिल की मरम्मत भी वहीं की जा रही है और अन्य समस्या के समाधान के लिए दिव्यांग इस कार्यालय से संपर्क कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बाद हालत यह हो गई है कि विक्टोरिया अस्पताल में कोरोना यूनिट के बाजू में दिव्यांग केन्द्र है। दिव्यांग सडक़ से सीधे केन्द्र नहीं पहुंच पाते हैं, एेसे हालात में इन दिव्यांगों को ट्राई साइकिल से कोरोना यूनिट के अंदर से होकर आना-जाना पड़ता है।
सीढि़यों से वाहन उठाकर चढ़ाना मजबूरी
विक्टोरिया की पुरानी ओपीडी सडक़ के समानांतर नहीं है। ओपीडी में जाने के लिए दो सीढ़ी है। इसमें दिव्यांग की ट्राई साइकिल उपर नहीं चढ़ पाती है। यहां रैम्प नहीं होने से किसी की मदद लेकर दिव्यांग को अपनी साइकिल उपर चढ़ानी पड़ती है या फिर कोरोना यूनिट के रैम्प का इस्तेमाल करके उसे दिव्यांग केन्द्र तक पहुंचना पड़ता है। मौजूदा हालात में भी यही हो रहा है, जहां संक्रमण की वजह से दिव्यांगों की मदद के लिए कोई आगे नहीं आता है और उन्हें मजबूरी में कोरोना यूनिट से होकर केन्द्र तक पहुंचना पड़ता है।
कोरोना के बाद पहली बार हो रही मरम्मत
कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के बाद पहली बार उनकी ट्राईसाइकिल की मरम्मत हो रही है। मरम्मत के लिए केन्द्र के एक कमरे में टैक्नीशियन आए हुए हैं, जो साइकिल की जांच कर रहे हैं और उसे ठीक कर रहे हैं। साइकिल की मरम्मत के बारे में दिव्यांगों से बातचीत की गई है तो उनका कहना था कि...

क्यों ट्राई साइकिल की मरम्मत नियमित होती है?
हां, होती है। लॉकडाउन के बाद पहली बार हो रही है।
तो क्या केन्द्र में इसका वर्कशॉप नहीं है?
नहीं वर्कशॉप नहीं है। कम्पनी का वर्कशॉप रिछाई में है। वहां जाते हैं तो हमें वापस कर दिया जाता है।
एेसा क्यों हैं कि आपकी साइकिल की मरम्मत नहीं होती है?वो कहते हैं कि और साइकिल की शिकायत आने दो तभी उसकी मरम्मत होगी।
ये साइकिल क्या जल्दी खराब हो जाती है?
साइकिल बैटरी वाली है। इसका सामान बाहर नहीं मिलता है। साइकिल यहीं ठीक करवाना हमारी मजबूरी है। साइकिल चलती है तो खराब होगी ही। वैसे साइकिल इतनी कमजोर है कि हल्के से जर्क पर टूटने का डर है, और कुछ तो टूट भी चुकी है। इनमें वेल्डिंग करके काम चला रहे हैं।
इसके लिए प्रशासन से नहीं कहा क्या?
हमने कलेक्टर सहित अभी लोगों से कहा है लेकिन कुछ नहीं हुआ। साइकिल का स्थाई रूप से शहर के भीतर वर्कशॉप नहीं है। जबकि संभाग में करीब ५०० ट्राईसाइकिल दी गई हैं और करीब २०० साइकिलें और बांटी जानी है।
केन्द्र में रैम्प तो नहीं है, फिर कैसे अंदर जाते हो?
कोई मिल जाता है तो साइकिल उठाकर वह उपर रख देता है, नहीं तो हमे कोरोना यूनिट के रैम्प से पुरानी बिल्डिंग के अंदर से केन्द्र तक जाना पड़ता है।

- दिव्यांगों की ट्राईसाइकिल के बारे में सरकार से पत्राचार किए गए हैं। केन्द्र में रैम्प बनाया जाएगा, जिसके लिए अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की जाएगी।
आशीष दीक्षित, जेडी, सामजिक न्याय विभाग