
chaitra navratri 2018: preparation in jabalpur
जबलपुर . वैसे तो नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है- पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन माह में प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है पर ज्यादातर लोग चैत्र और आश्विन नवरात्री के बारे में ही जानते हैं और इसे मनाते है। पंडित जनार्दन शुक्ला के अनुसार नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख-कष्टों को हटानेवाली होता है। भाग्य को बढाने वाली, ज्ञान, शक्ति और धन देने वाली मां दुर्गा की पूजा का यह विशेष अवसर चैत्र नवरात्र के रूप में आ रहा है। इस बार चैत्र नवरात्र १८ मार्च से शुरु होगी और २६ मार्च को इसका पारण होगा।
नवरात्री में नौ देवियों की पूजा होती है ये नौ देवियाँ है -
शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
जरूर करें कन्या पूजन
नवरात्री पर्व के दौरान घर को साफ़ सुथरा रखें, मांस-मदिरा-लहसुन प्याज को त्याग दें। उपवास रखें तो सात्विक भोजन करें, फलाहार ही करें तो ज्यादा अच्छा होता है। सुबह दुर्गा सप्तसती का पाठ करें। नवरात्री के अष्टमी को या नवमी को कन्या पूजन जरुर करें।
दुर्गापूजन से साल की शुरुआत
पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि के लिये घटस्थापना चैत्र प्रतिपदा को होती है जो कि हिन्दु कैलेण्डर का पहला दिवस होता है। इस प्रकार साल के प्रथम दिन से अगले नौ दिनों तक माता की पूजा कर वर्ष का शुभारम्भ करते हैं। चैत्र नवरात्रि को वसन्त नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। भगवान राम का जन्मदिवस चैत्र नवरात्रि के अन्तिम दिन पड़ता है और इस कारण चैत्र नवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है।
Published on:
04 Mar 2018 10:06 am
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