
patrika
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में तल्ख टिप्पणी कर कहा कि न्यायाधीश कोर्ट का स्टेनोग्राफर नहीं होता जो हर कही गई बात को अपने आदेश पत्र में दर्ज करे। जो जरूरी तथ्य होते हैं सिर्फ वो ही एक जज आदेश पत्र में दर्ज करता है। इस मत के साथ चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की डिवीजन बेंच ने एडीजे (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज) को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के रूप में दिए दंड को रद्द कर दिया। कोर्ट ने सेवानिवृत्त एडीजे पर लगाए आरोपों को भी खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, एडीजे की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दण्ड निरस्त
एडीजे केसी रजवानी की ओर से याचिका दायर की गई। कहा गया कि उन पर गुना में पदस्थ रहने के दौरान पैसे लेकर जमानत देने का आरोप लगा। इसके अलावा फैसला और सुनवाई करने में देरी का भी आरोप था। आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ विभागीय जांच की गई और वर्ष 2006 में उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 फीसदी वेतन संबंधी लाभ देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि उन्हें 4 माह के भीतर सभी वेतन संबंधी लाभ का भुगतान किया जाए।
Published on:
30 Jun 2022 11:39 am
बड़ी खबरें
View Allजबलपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
