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जबलपुर। गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। अगर आपने अब तक मां दुर्गा की स्थापना और पूजा की तैयारी नहीं की है तो यहां आपको पूरी मदद मिल सकती है। मां दुर्गा की स्थापना और पूजा में जिन चीजों की आपको जरूरत पड़ेगी, उसकी खरीदारी आज ही कर लें। क्योंकि कल से ही नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है और कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह-सुबह का है।
ज्योतिषाचार्य सत्येंद्रस्वरुप शास्त्री के अनुसार नौ दिन मां की पूजा करते समय बहुत जरूरी है कि भक्त हर रोज मां की ये चीजें उनके सामने रखने के बाद ही पूजा करें। कुछ चीजों के बिना मां भगवती की अराधना अधूरी है।
दुर्गा पूजा में ये जरूरी हैं -
लाल रंग का आसन-
लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है। इसलिए पूजा शुरू करने से पहले आसन के तौर पर कोई भी वस्त्र बिछाने से अच्छा है कि लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा मां को लाल चुनरी और कुमकुम का टीका लगाना शुभ है। इसके अलावा ये चीजें भी जरूरी हैं।
- मिट्टी का पात्र और जौ
- साफ की हुई मिट्टी
- जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश
- लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली
- साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के
- अशोक या आम के पांच पत्ते
- मिट्टी का ढक्कन
- पानी वाला नारियल
- लाल कपड़ा या चुनरी, सिंदूर
- फूल और फूल माला, नवरात्र कलश
खाली ना चढ़ाएं लाल चुनरी- मां दुर्गा को खाली चुनरी कभी ना चढ़ाएं. चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान चढ़ाने से मां खुश होती हैं और आर्शीवाद देती है। मां दुर्गा की चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल चढ़ाना चाहिए।
अखंड ज्योति के लिए- अगर आप नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाना चाहते हैं तो पीतल या मिट्टी का दीया साफ कर ले। जोत के लिए रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल जरूर रखें।
हवन के लिए - हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा, चावल
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colors of durga-
शैलपुत्री पूजा- लाल रंग
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां को समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है।
चंद्र दर्शन- गहरा नीला
चंद्र दर्शन के दिन नीला रंग पहने। नीला रंग शांति और सुकून का परिचायक है। सरल स्वभाव वाले सौम्य व एकान्त प्रिय लोग नीला रंग पसन्द करते हैं।
ब्रह्मचारिणी पूजा- पीला
नवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
चंद्रघंटा पूजा- हरा
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को भौतिक , आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है।
कुष्माण्डा पूजा- स्लेटी
नवरात्र के चौथे दिन मां पारांबरा भगवती दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
स्कंदमाता पूजा- नारंगी
नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना अपने आप हो जाती है। नारंगी रंग ताजगी का ***** है।
कात्यायनी पूजा- सफेद
नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा।
कालरात्रि पूजा- गुलाबी
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है।देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है।
महागौरी पूजी- आसमानी नीला
दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। जिनके स्मरण मात्र से भक्तों को अपार खुशी मिलती है, इसलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं।
Published on:
20 Sept 2017 04:27 pm
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