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जबलपुर। लॉकडाउन का असर शहर के पर्यावरण पर भी बड़ा है। आबोहवा ताजी हुई है। इन सबके बीच शहर में पक्षियों की चहचहाहट स्पष्ट सुनी जा सकता है। नेस्टिंग सीजन में पक्षियों की टेरिटोरियल फाइट में भी कमी आई है। उनके रहवास में भी कोई हस्तक्षेप नहीं हो रहा है। जबलपुर के पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार प्रवासी पक्षियों के लौटने का समय समाप्त होने को है। घरों की बालकनी, गार्डन, बिजली के खम्भों, पेड़-पौधों पर नजर आने वाले पक्षी स्थानीय हैं। फरवरी से अप्रैल तक नेस्टिंग सीजन है। इसके लिए वे घोसले बना रहे हैं। नर पक्षी अपनी टेरिटरी बचाने और मादा पक्षियों को रिझाने के लिए मधुर कलरव करते हैं। सीजन के प्रमुख पक्षियों में लाफिंग डब, लिटिल स्वीफ्ट, एशिप्रिनिया, टेलर बड्र्स, मैग पाई राबिन आदि प्रमुख हैं।
पक्षी विशेषज्ञ जगतजोत सिंह फ्लोरा के अनुसार पक्षियों की भी टेरिटरी होती है। नेस्टिंग सीजन में पक्षी घोसला बनाते समय दूरी रखते हैं, जिससे चूजों को पर्याप्त आहार मिल सके। दो माह तक देसी नर पक्षी मधुर कलरव करते हैं। शांत क्षेत्र में उनका कलरव दूसरे पक्षी सुनते हैं तो दूसरे के के क्षेत्र में नहीं जाते। इसलिए टेरिटोरियल फाइट नहीं दिख रही है।
ई-वाचर कर रहे ऑब्जर्वेशन
बड्र्स वाचर ऑल इंडिया लेवल पर पक्षियों के व्यवहार में बदलाव का डाटा ई-बड्र्स ऐप पर जुटा रहे हैं। इसके लिए वे सुबह-शाम छतों पर निर्धारित समम मेंं 15 मिनट तक ऑब्जर्वेशन करते हैं। इस दौरान पक्षियों के फोटो लेने के साथ शांत क्षेत्र मेंं उनके व्यवहार को भी रिकार्ड किया जाता है।
Published on:
19 Apr 2020 10:22 pm
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