
Coronavirus effect : मध्य प्रदेश की अदालतों में नहीं होगी आम सुनवाई, सिर्फ अर्जेंट केस ही सुने जाएंगे
जबलपुर/ देश में कोरोना वायरस का संकट बढ़ता जा रहा है। हालिया सामने आई जानकारी से पता चला है कि, देशभर में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 230 के बार जा पहुंची है। वहीं, आंकड़ों के मुताबिक अब तक इनमें से 23 लोगों को ठीक किया जा चुका है। हालांकि, केन्द्रीय और स्थानीय प्रशासन की ओर से थोड़ी थोड़ी देर में सतर्कता से संबंधित निर्देश सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट समेत प्रदेश के सभी अदालतों में रुटीन केसों की सुनवाई को रोक दिया गया है। इनमें सिर्फ अर्जेंट केस की ही सुनवाई की जाएगी।
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इन गाइडलाइंस को माना आधार
इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से सोमवार 16 मार्च को फुलकोर्ट मीटिंग के जरिए कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत मुख्यपीठ जबलपुर व खंडपीठ इंदौर व ग्वालियर के साथ-साथ राज्य की सभी अधीनस्थ अदालतों में सामूहिक कार्यक्रमों पर रोक लगाई गई थी। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल राजेंद्र कुमार वानी के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 5 मार्च 2020 को कोरोना से बचाव के सिलसिले में एक एडवायजरी जारी की थी, जिसके तहत सार्वजनिक महत्व के स्थानों में सामूहिक कार्यक्रम आयोजित न किए जाने पर बल दिया गया था।
31 मार्च तक विशेष सावधानी बरतने की मांग
विश्व स्वाथ्य संगठन (WHO) ने भी कोरोना को वैश्विक महामारी घेषित करते हुए, किसी भी सार्वजनिक स्थल पर जाने या कोई सार्वजनिक आयोजन में जाने से बचने की सलाह दी है। इन्हीं एडवाजयरीज को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य की अदालतों में कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसी के चलते पूर्व जिला बार अध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजा, जिसमें 31 मार्च तक हाई कोर्ट व अधीनस्थ अदालतों में कोरोना से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतने की मांग की गई। साथ ही सिर्फ अति आवश्यक मुकदमे ही सुने जाने पर बल दिया गया। वकीलों व पक्षकारों को कोर्ट में उपस्थिति से छूट दिए जाने का बिंदु भी पत्र में शामिल रहा।
इसके तहत निम्नांकित बिन्दु उल्लेखनीय हैं
1- मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की तीनों बेंच में कोई सामूहिक कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।
2- राज्य के सभी अधिवक्ताओं से अपील है कि वे अपने पक्षकारों को कोर्ट आने से रोकें।
3- अधिवक्ताओं व पक्षकारों की अनुपस्थिति में कोई भी कोर्ट उनके केस खारिज नहीं करेगा। गैरहाजिरी से मुकदमों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
4- मीडिएशन प्रक्रिया सिर्फ उन्हीं मामलों में अपनाई जाएगी, जो अतिआवश्यक श्रेणी के होंगे।
5- वे सभी एहतियाती कदम पूरी गंभीरता से उठाए जाएंगे, जिनके बारे में शासन-प्रशासन के स्तर पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
6- अदालत परिसरों में परस्पर हाथ मिलाने के स्थान पर नमस्ते से काम चलाया जाएगा।
7- हाई कोर्ट सहित समस्त प्रदेश की समस्त जिला अदालतों में कोरोना से बचाव की दिशा में उक्त सभी बिन्दुओं का पूर्ण तत्परता से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
Published on:
22 Mar 2020 12:27 am
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